बस्तर। छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री और आदिवासी नेता कवासी लखमा के बयान पर एक बार फिर सियासी बवाल मचा हुआ है और बीजेपी ने सीधे-सीधे भूपेश सरकार पर इस बयान को लेकर छत्तीसगढ़ में हिंदू धर्म को बांटने के लिए रणनीति तैयार करने का आरोप लगाया है।
आदिवासी अनुसूचित जनजाति सम्मेलन में आदिवासी नेता और आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बयान देते हुए कहा था कि “आदिवासी हिंदू नहीं है। उनके लिए अलग से धर्म कोड बनना चाहिए और इसके लिए आने वाले 20 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से आदिवासी समाज मुलाकात कर आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड बनाने की मांग करेगा.”
इस बयान को लेकर बीजेपी ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार हिंदुओं को बांटने की रणनीति तैयार कर रही है। इस वजह से कैबिनेट मंत्री इस तरह का बयान दे रहे हैं।
दरअसल इससे पहले भी कवासी लखमा ने बस्तर में धर्मांतरण को लेकर उपजे विवाद के बाद कहा था “बस्तर के आदिवासी हिंदू नहीं हैं, बल्कि उनका खुद एक धर्म है, इस बयान के बाद बीजेपी के साथ-साथ कई धर्म गुरुओं ने इसका खंडन करते हुए कवासी लखमा पर पलटवार किया था, लेकिन इसके बावजूद कवासी लखमा बार-बार आदिवासियों को हिंदू नहीं बताते हुए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं।
शनिवार को भी रायपुर में आयोजित अनुसूचित जनजाति के आदिवासी सम्मेलन में अपने संबोधन में कवासी लखमा ने कहा कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह जैन, बौद्ध आदि धर्म के लिए अलग कोड बना है, उसी तरह आदिवासियों का भी धर्म कोड होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन और प्रकृति के बीच रहने वाले आदिवासियों की अपनी अलग पहचान है, ऐसे में वह हिंदू कैसे हो सकते हैं?
उन्होंने कहा कि 20 अप्रैल को आदिवासी समाज का प्रतिनिधिमंडल देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से मुलाकात करेगा और उनसे आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड बनाने की मांग करेगा।