सागर (मध्य प्रदेश)। मध्य प्रदेश में फिर एक बार आदिवासियों के सरकारी दमन का मामला सामने आया है। सागर जिले के गौरझामर वन परिक्षेत्र के ग्राम चरगुवां में वन भूमि पर निवास कर रहे 19 परिवारों को, अतिक्रमण हटाने के नाम पर, उनकी घास-फूस से बनी झोपडिय़ों में वन विभाग के कुछ अधिकारियों ने आग लगा दी।
यहाँ रह रहे परिवारों ने वन विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि जली हुई झोपडिय़ों से लोग अनाज व कपड़े भी नहीं निकाल पाए। बच्चे बिना कपड़ों के, भूख से बिलखते रहे, लेकिन अधिकारी बेपरवाह रहे, और खाना बनाने का सामान सहित पूरी गृहस्थी आग के हवाले कर दी गई।
पीड़ित आदिवासी परिवार शुक्रवार को देवरी पहुंचे जहां विधायक हर्ष यादव के जनता दरबार में अपनी आपबीती सुनाई। विधायक हर्ष यादव ने मामले की जानकारी एसडीएम को दी एवं दक्षिण वन मंडल के डीएफओ नवीन गर्ग को सारी स्थिति से अवगत कराया। इसके बाद शनिवार को विधायक हर्ष यादव मौके पर पहुंचे और उन्होंने आदिवासियों के आग लगाकर उजाड़े गए झोपडिय़ों को देखा। उन्होंने आदिवासियों से मुलाकात कर भरोसा दिलाया कि उनके साथ हुए अन्याय का विरोध करेंगे और उनके हक की लड़ाई लड़ेंगे।
दोपहर में कलेक्टर दीपक आर्य, एसपी अतुल सिंह और दक्षिण वन मंडल के डीएफओ नवीन गर्ग, एसडीएम अमन मिश्रा, एसडीओपी पूजा शर्मा मौके पर पहुंचे, और उन्होंने आदिवासियों की जली हुई झोपड़ियां देखीं। आदिवासियों ने अधिकारियों को रात्रि में हुए घटनाक्रम को सुनाया। बताया किस तरह वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी उन्हें पहले भी परेशान करते रहे हैं। रात्रि में बिना सूचना के आग लगा दी और खदेड़ा भी। अधिकारियों ने उचित कार्यवाही का भरोसा दिलाया और आदिवासियों के लिए राशन, पानी की व्यवस्था करने के लिए एसडीएम को निर्देशित किया।
कलेक्टर दीपक आर्य ने मामले की जांच के लिए एसडीएम अमन मिश्रा व एसडीओपी पूजा शर्मा की संयुक्त जांच टीम बनाई और तीन दिन में रिपोर्ट देने के लिए कहा। वन विभाग ने रात्रि में ही डिप्टी रेंजर निर्भान सिंह व दो वनरक्षकों को सस्पेंड कर दिया था।