रांची। सोमवार दोपहर देवघर के उपायुक्त ने झारखंड के आदिवासी कल्याण मंत्री चंपई सोरेन के ट्वीट पर, जबाब देते हुए लिखा कि जिला प्रशासन द्वारा वेल्लोर में इलाजरत एक कैंसर-पीड़ित बच्चे के इलाज हेतु पाँच लाख रुपये की राशि स्वीकृत कर दी गई है। इस मामले में उनके मानवीय दृष्टिकोण की लोग सराहना कर ही रहे थे कि चंद घंटों बाद, चुनाव आयोग ने उन्हें उपायुक्त के पद से हटाने, तथा उन पर सख्त कार्यवाही करने का निर्देश दे दिया। एक अरसे से, गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के साथ उनका विवाद चल रहा था, जिसके परिणामस्वरूप यह फैसला आया।
चुनाव आयोग के इस फैसले से देवघर की जनता सकते में आ गई। आनन-फानन में सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में सैकड़ों पोस्ट दिखाई देने लगे। बिना किसी राजनैतिक सपोर्ट के, जनता स्वतः ही, चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ आवाज उठाने लगी। कई लोगों ने उनके द्वारा किए गए कार्यों की तस्वीरें लगाकर, उन्हें एक ईमानदार तथा आम जनता के लिए सदैव उपलब्ध अधिकारी बताया, तथा उनके खिलाफ हुई कार्यवाही की निंदा की।
उसके बाद, आज बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर के, झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग के फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया, तथा इसे राज्य सरकार के अधिकार-क्षेत्र में हस्तक्षेप करार दिया। इसके अलावा कांग्रेस ने भी, इस निर्णय की आलोचना करते हुए, इसे अनावश्यक तथा राज्य-सरकार के अधिकारों का हनन बताया।
राज्य में अभी चुनाव नहीं होने के आधार पर राज्य सरकार चुनाव आयोग के फैसले को बाध्यकारी नहीं मान रही है। सूत्रों के अनुसार इस मामले में सरकार विधि परामर्श लेगी और इसके आधार पर ही कोई कार्रवाई शुरू करेगी। इस आधार पर, फिलहाल देवघर के उपायुक्त को राहत मिली है। वैसे, राज्य सरकार के तेवर को देखते हुए यह मामला कोर्ट तक जाने की भी पूरी संभावना है।
झारखंड में इससे पहले भी चुनाव आयोग ने कई अधिकारियों पर कार्यवाही करते हुए, उन्हें चुनाव कार्य से अलग रखने का निर्देश दिया था, लेकिन यह पहली बार है कि किसी अधिकारी पर इतनी सख्त कार्यवाही की जा रही है।
कौन हैं मंजूनाथ भजंत्री?
झारखंड कैडर के 2011 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी मंजूनाथ भजंत्री को उनके जमीन से जुड़े स्वभाव की वजह से जाना जाता है। एक गरीब परिवार में जन्म लेने वाले भजंत्री आईआईटी से पढ़ाई करने के बाद सिविल सेवा में आये। प्रदेश की गठबंधन सरकार द्वारा नवम्बर 2020 में उन्हें देवघर का उपायुक्त नियुक्त किया गया।
कभी जमीन पर बैठ कर जनता की शिकायतें सुनने वाले, तो कभी पर्यावरण संरक्षण तथा स्थानीय गरीबों को रोजगार दिलवाने हेतु थर्मोकॉल बैन कर के पत्तों से बने दोने-पत्तल का प्रचार करने वाले मंजूनाथ भजंत्री को देवघर की “आम जनता का डीसी” माना जाता है। जिले के गरीबों, असहायों तथा वंचित तबकों के लिए “सदैव उपलब्ध” भजंत्री को क्षेत्र में जैसा समर्थन मिलता दिख रहा है, वैसा कई राजनेताओं को भी विरले ही मिलता है।