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चांडिल डैम में पबदा एवं तिलेपिया मछली का उत्पादन होगा: सचिव

आदित्यपुर। चांडिल डैम में पंगेसियस के अलावे पबदा एवं तिलेपिया मछली का भी पालन किया जाएगा। चांडिल डैम में बड़े पैमाने पर मछली पालन होना गर्व की बात है। यह बातें रविवार को कृषि,पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने चांडिल डैम में कही।

इस दौरान उन्होंने चांडिल डैम में केज कल्चर सिस्टम से हो रहे मछली पालन को बारीकी से देखा तथा इस संबंध में पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया। चांडिल बांध मत्स्य जीवी स्वावलंबी सहकारी समिति के सदस्यों ने सचिव से चांडिल डैम में एक हजार और केज की संख्या को बढ़ाने तथा ऑटोमेटिक फीड मिल लगाने की मांग की। समिति ने कहा कि वर्तमान में लगे फीड मिल काफी पुराना हो गया है। सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने समिति एवं मत्स्यपालकों से बात कर उनकी समस्याओं ने अवगत हुए तथा उनका मार्गदर्शन किया।

सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने बताया कि चांडिल डैम में मछली पालन का काफी स्कोप है। आने वाले समय में चांडिल डैम में केज की संख्या को बढ़ाई जाएगी। उन्होंने समिति के सदस्यों एवं किसानों से बतख पालन, गो पालन एवं अन्य पशुपालन करने की सलाह दी। उन्होंने कहा की मछली पालन में हो रही त्रुटियों को सुधारा जाएगा तथा इसकी समीक्षा की जायेगी। डैम में खराब पड़े केजों की मरम्मती भी की जायेगी ताकि आने वाले समय में बड़ी मात्रा में मछली का उत्पान हो सके।

इसके पूर्व ढोल नगाड़े की धुन पर संथाली नृत्य कर महिलाओं ने परंपरिक रीति रिवाज के साथ सचिव का स्वागत किया। इस मौके पर जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार ने बताया कि चांडिल डैम में जल्द ही तिलेपिया एवं पबदा जैसी मछली का पालन किया जाएगा। तिलेपिया छतीसगढ़ में बड़ी मात्रा में पालन किया जाता है, जबकि पबदा भारत के उतरी-पूर्वी क्षेत्र जैसे आसाम एवं मणिपुर में मिलता है। आने वाले समय में चांडिल डैम को मछली पालन में और विकसित किया जाएगा। इस मौके पर मत्सय विभाग के निदेशक डॉ. एचएन द्विवेदी, जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार, नारायण गोप, श्यामल, सरदीप नायक आदि उपस्थित थे।

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