Connect with us

Hi, what are you looking for?

Adiwasi.com

National

जल, जंगल, जमीन पर अपने हक के लिए आदिवासियों ने किया खंडवा कलेक्ट्रेट का घेराव

खंडवा: खंडवा में जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों का अधिकार होने की बात को लेकर आज आदिवासी संगठन के नेतृत्व में सैकड़ों आदिवासियों ने कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया। यह घेराव पिछले दिनों खंडवा जिले के रोहिणी गांव में जंगल की 250 एकड़ जमीन से आदिवासियों को हटाने के विरोध में था। इस आंदोलन में खंडवा, खरगोन बुरहानपुर और बड़वानी जिले के आदिवासी संगठन के नेता और लोग शामिल हुए। इन लोगों ने वन विभाग को वन अधिकार कानून का उल्लंघन कर आदिवासियों पर अत्याचार करने के आरोप भी लगाए।

खंडवा में जागृत आदिवासी दलित संगठन के लाल झंडे के नेतृत्व में आदिवासी समुदाय के सैकड़ों लोगों ने कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया। संगठन के नेताओं ने वन विभाग के वन अधीनियम का हवाला देते हुए आरोप लगाए कि वर्षों से जंगल की जमीन पर आदिवासियों का हक है, उन्हें बिना पूर्व सूचना दिए और उनके दावों का अंतिम निराकरण होने के पूर्व ही उन्हें बेदर्दी के साथ जमीन से बेदखल कर दिया गया।

आपको बता दें कि 2 हफ्ते पहले ही पुलिस और वन विभाग ने संयुक्त कार्यवाही करते हुए रोहिणी गांव के जंगल से लगभग 250 एकड़ जमीन इन अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराई थी। इसी के बाद से यह लोग लगातार विरोध कर रहे हैं। इस विरोध में ज्यादातर आदिवासी महिलाएं हैं, जिनका कहना है कि वन विभाग ने न केवल उन्हें जंगल में उनकी जमीन से बेदखल किया बल्कि उनके जानवर और संपत्ति का भी नुकसान किया।

बता दें कि इस संगठन में ज्यादातर वही लोग हैं जो पहले नर्मदा बचाओ आंदोलन में सक्रिय रहे हैं। यह लोग अब आदिवासियों के हितों के बारे में सक्रिय रहते हैं। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में खरगोन, बड़वानी, झाबुआ और बुरहानपुर जिले के आदिवासी लोग और कार्यकर्ता शामिल हुए। संगठन की प्रमुख माधुरी बेन ने बताया कि वन विभाग की रोहिणी गांव में की गई बेदखली की कार्यवाही पूरी तरह से असंवैधानिक है। उन्होंने वन अधिकार अधिनियम की विभिन्न धाराओं का उल्लेख करते हुए वन विभाग की इस कार्यवाही को गैरकानूनी भी बताया।

इधर जिला प्रशासन का कहना है कि पिछले दिनों रोहिणी गांव में जंगल की जमीन को मुक्त कराने संबंधी वन विभाग की कार्यवाही में पूरी पारदर्शिता बरती गई। जंगल में बाहरी जिलों के लोगों द्वारा पेड़ काटकर अतिक्रमण करने संबंधी तमाम दस्तावेज वन विभाग के पास है। खंडवा एसडीएम ममता खेड़े ने कहा कि संगठन के लोगों ने अलग-अलग जिलों से कार्यकर्ताओं को बुलाकर यह प्रदर्शन किया। संगठन ने इस प्रदर्शन के बारे में कोई पूर्व अनुमति नहीं ली। कोरोना गाइडलाइन का पालन भी नहीं किया गया। इस बारे में उचित कार्रवाई की जाएगी।

Share this Story...
Advertisement

Trending

You May Also Like

National

कोलकाता। कोलकाता के धर्मतल्ला में शुक्रवार को हजारों की संख्या में आदिवासी समाज से जुड़े लोग जुटे, जहां उन्होंने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और...

National

जमशेदपुर। दक्षिण-पूर्व रेलवे के आद्रा मंडल के कुस्तौर स्टेशन और खड़गपुर मंडल के खेमाशोली स्टेशन पर बीते 5 अप्रैल से जारी रेल अवरोध को...

Jharkhand

रांची। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के वंशज सुखराम मुंडा ने भी आदिवासी समाज के लोगों के लिए सरना धर्म कोड की मांग की...

Jharkhand

धनबाद। झारखण्ड सरकार द्वारा भोजपुरी, अंगिका और मगही भाषाओं को धनबाद और बोकारो जिले में नियुक्ति में शामिल करने के फैसले का चौतरफा विरोध...

error: Content is protected !!