नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने 50 हजार स्कूल शिक्षकों के लिए “स्कूल नवाचार दूत प्रशिक्षण कार्यक्रम” की शुक्रवार को शुरुआत की। स्कूली शिक्षकों के लिए नए और अपनी तरह के अनूठे प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य 50,000 स्कूल शिक्षकों को नवाचार, उद्यमिता, आईपीआर, डिजाइन विचार, उत्पाद विकास, विचार निर्माण आदि में प्रशिक्षण देना है।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा, “शिक्षकों का हमारे जीवन में सबसे अधिक प्रभाव होता है। हमारा लक्ष्य अपने शिक्षकों को बदलाव का एजेंट तथा नवोन्मेष का दूत बनाना चाहते हैं ताकि हमारे विद्यार्थी भविष्य के लिए तैयार हों।” शिक्षा मंत्री ने जोर दिया कि प्रौद्योगिकी दुनिया को नये रूप में ढाल रही है और विद्यार्थियों के पास सामर्थ्य होता है कि वह न सिर्फ घरेलु बल्कि वैश्विक चुनौतियों से भी निपट सकें।
अर्जुन मुंडा ने दी जानकारी
जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने बताया कि यह कार्यक्रम शिक्षा मंत्रालय के नवोन्मेष प्रकोष्ठ, जनजातीय कार्य मंत्रालय, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) का संयुक्त प्रयास है जो लाखों विद्यार्थियों में नवाचार की क्षमताएं बढ़ाएगा, नवोन्मेष की संस्कृति को विकसित करेगा और नए एवं जीवंत भारत की नींव रखेगा।
मुंडा ने कहा, “यह पहल देशभर में आदिवासी बच्चों की रचनात्मकता को पंख देकर उनके लिए बने कई स्कूलों को लाभ पहुंचाएगी और एक मंच उपलब्ध कराएगी जिससे कि वे अपने विचारों से दुनिया को कुछ नया दे सकें।” उन्होंने कहा, “आदिवासी बच्चों के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) एक और महत्त्वकांक्षी कार्यक्रम है जिसके तहत अगले तीन वर्षों में आदिवासी बहुल इलाकों में 740 ईएमआरएस स्थापित किए जाएंगे।”
प्रशिक्षण केवल ऑनलाइन मोड में
EMRS के छात्रों को SIATP से बहुत लाभ होगा क्योंकि जनजातीय मामलों के मंत्रालय का भी प्रयास है कि आदिवासी बच्चों को सर्वोत्तम संभव शिक्षा दी जाए। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि “कार्यक्रम को शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल और एआईसीटीई द्वारा स्कूली शिक्षकों के लिए “उच्च शिक्षा संस्थान के संकाय सदस्यों के लिए नवाचार राजदूत प्रशिक्षण कार्यक्रम” के आधार पर डिजाइन किया गया है। प्रशिक्षण केवल ऑनलाइन मोड में दिया जाएगा।”