रांची। चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करते ही पूरा देश झूम उठा। इस अभूतपूर्व सफलता से गदगद इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी जा रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चंद्रयान-3 की इस सफलता में झारखंड के एक आदिवासी वैज्ञानिक शिवशंकर बेसरा का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा?
बोकारो जिले के जरीडीह प्रखंड के बेलडीह भुटकाटाँड़ के रहने वाले बेसरा फिलहाल #ISRO में वरिष्ठ तकनीकी सहायक पद के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने चंद्रयान-3 के अलावे कई उपग्रहों के डिजाईन से लेकर उनके प्रक्षेपण में भी काफी महत्वपूर्ण काम किये हैं।
बोकारो में ही स्कूल से लेकर इंटरमीडियेट तक की पढ़ाई करने वाले शिव शंकर बेसरा अपनी पत्नी तथा जुड़वा बेटियों के साथ बेंगलुरू में रहते हैं।
उन्हें आदिवासी होने पर गर्व है तथा वे बैंगलोर के आदिवासी/ संथाल समाज के कार्यक्रमों में भी सपरिवार सक्रिय सहभागिता निभाते हैं। उनके घर पर लगी इस तस्वीर में आपको ओलचिकी लिपि के आविष्कारक पं. रघुनाथ मुर्मू दिख जायेंगे।
बधाई शिव शंकर बेसरा जी, आप के योगदान पर पूरे समाज एवं सारे देश को गर्व है। हम आपके उज्ज्वल एवं सुखमय भविष्य की कामना करते हैं।