मणिपुर के 10 आदिवासी विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर मणिपुर राज्य से अलग होने की मांग की है। इन विधायकों का कहना है कि राज्य सरकार आदिवासियों की रक्षा करने में ‘बुरी तरह से विफल’ रही है। इनमें 7 भाजपा, 2 कुकी पीपुल्स अलायंस और एक निर्दलीय विधायक (हाओखोलेट किपगेन) शामिल हैं।
अभी कुछ दिनों पहले मणिपुर में हुई हिंसा ने पूरे देश को विचलित किया था। दरअसल 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला। ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी।
मणिपुर में मैतेई समुदाय में लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग की जा रही है। रैली के बाद आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई। इस भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे।
तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी। बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात कर दिया गया था। सरकार ने मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी गई थी, इसके अलावा 8 जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया था।