रांची। मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन के नेतृत्व में झारखंड में पेसा (PESA) नियमावली लागू करने की कवायद तेज हो चुकी है। इसी संदर्भ में आज मुख्यमंत्री के समक्ष झारखंड मंत्रालय में पंचायती राज विभाग के अधिकारियों द्वारा “पेसा – एक परिचय एवं रोड मैप” विषय पर प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तावित ड्राफ्ट अधिनियम की जानकारी दी गई।
मुख्यमंत्री ने इसकी समीक्षा करते हुए अधिकारियों को कई महत्त्वपूर्ण दिशा-निर्देश भी दिए। समीक्षा के क्रम में मुख्यमंत्री एवं अधिकारियों के बीच राज्य में शीघ्र पेसा (PESA) कानून लागू करने के निमित्त कई अहम बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की गई। मौके पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि झारखंड में एक बेहतर पेसा नियमावली बने, यह हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है।
पंचायती राज विभाग ने इस नियमावली का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। प्रस्तावित नियमावली के तहत ग्राम सभा की बैठकों की अध्यक्षता मानकी मुंडा आदि पारंपरिक प्रधान करेंगे। ग्राम सभा की सहमति के बिना सरकार जमीन का अधिग्रहण नहीं कर सकेगी। आदिवासियों की जमीन खरीद बिक्री मामले में भी ग्राम सभा की सहमति की बाध्यता होगी।
इस नियमावली में पुलिस की भूमिका निर्धारित करते हुए किसी की गिरफ्तारी के 48 घंटे के अंदर गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी ग्राम सभा को देने की बाध्यता तय की गई है। ग्राम सभा को आदिवासियों की जमीन वापस करने का अधिकार भी दिया गया है।
साथ ही ग्राम सभा में अन्न कोष, श्रम कोष, नकद कोष आदि गठित किए जाने का प्रावधान किया गया है जिनमें दान, प्रोत्साहन राशि, दंड शुल्क, वन उपज, रॉयल्टी, तालाब, बाजार, सैरात आदि से मिलने वाली राशि जमा की जाएगी। ग्राम सभा में अधिकतम 10 हजार रुपए तक की राशि रखने की अनुमति होगी। इसकी अधिक की राशि बैंक खाते में जमा की जाएगी। इतना ही नहीं, ग्राम सभा विधि व्यवस्था को लेकर 10 रुपए से लेकर एक हजार रुपए तक दंड भी लगा सकेगी।
हालांकि दंडित व्यक्ति को अपील करने की भी शक्ति प्राप्त होगी। यहां तक कि उच्च न्यायालय में भी इसके विरुद्ध अपील की जा सकेगी। ग्राम सभा को प्राकृतिक स्रोतों के प्रबंधन का भी अधिकार होगा। वन उपज पर भी उसका अधिकार होगा।
इस अवसर पर आदिवासी कल्याण मंत्री दीपक बिरुवा, मुख्य सचिव एल० खियांग्ते, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव अविनाश कुमार, पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे, मुख्यमंत्री के सचिव अरवा राजकमल, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव कृपानंद झा, पंचायती राज निदेशक निशा उरांव सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
क्या है पेसा एक्ट?
पेसा कानून का पूरा नाम है- पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरियाज एक्ट (Panchayat Extension to Scheduled Areas Act). 1996 में पंचायती राज व्यवस्था में अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार करते हुए पेसा कानून की शुरुआत हुई। आसान भाषा में समझें तो इस कानून की तीन प्रमुख बाते हैं- जल, जंगल और जमीन का अधिकार। इस कानून के जरिए जमीन के अधिकार को सशक्त बनाया गया है। भूमि के इस अधिकारों के तहत आदिवासियों को मजबूत बनाने की बात कही गई है।