रांची। 3 जुलाई 2024 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पूर्व सीएम चम्पाई सोरेन लगातार चर्चा में बने हुए हैं। कोल्हान में उनके समर्थन में जुट रही भारी भीड़ तथा सोशल मीडिया पर उनके पोस्ट्स को मिल रहे शानदार रिस्पांस के बीच उनके खिलाफ चल रही कुछ निगेटिव न्यूज कटिंग ने आपका भी ध्यान आकृष्ट किया होगा।
आदिवासी डॉट कॉम ने जब इस मामले की सत्यता जानने का प्रयास किया तो पता चला कि ऐसे न्यूज कटिंग्स पूर्व सीएम को बदनाम करने के उद्देश्य से चलाये जा रहे फर्जी प्रॉपेगेंडा का हिस्सा है, जिसका सत्यता से कोई लेना-देना नहीं है।
सबसे पहले इन दोनों तथाकथित अख़बार की कटिंग्स को ध्यान से देखिए। इसमें एक को पढ़ना भी मुश्किल है, जबकि दूसरा पढ़ा जा सकता है। दोनों में से एक भी कटिंग किसी प्रतिष्ठित अखबार की नहीं है और इंटरनेट पर खोजने पर भी ऐसी खबर कहीं और नहीं मिलती। क्या आपको लगता है कि ऐसी धमाकेदार खबरें एक्सक्लूसिव हो सकती हैं? क्या बाकी मीडिया इतना बेवकूफ है कि ऐसी महत्वपूर्ण खबरों को नहीं छापेगा?
दरअसल, सत्ता में रहते समय पूर्व सीएम चम्पाई सोरेन लगातार जन-कल्याणकारी घोषणाएँ कर रहे थे। महिलाओं, युवाओं एवं छात्रों के लिए कई योजनाएँ लाने की वजह से वे झारखंड के सर्वमान्य नेता बनते जा रहे थे। वहीं, हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद चम्पाई सोरेन की बढ़ रही लोकप्रियता से घबराया झामुमो का एक धड़ा उनके खिलाफ साजिशें रच रहा था।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार उन्हें डर था कि अगर चम्पाई सोरेन कुछ और दिन सत्ता में रह गये तो वे बहुत बड़े नेता बन सकते थे। बीबीसी ने स्पष्ट तौर पर लिखा कि – “चंपई सोरेन के प्रति लोगों की सहानुभूति न बढ़े इसके लिए उनके ख़िलाफ़ मीडिया में नैरेटिव चलाया गया कि चंपई सोरेन के पारिवारिक सदस्य टेंडर सेटिंग जैसी चीज़ों में संलिप्त थे, जिसके कारण पार्टी की छवि खराब हो रही थी।”
जी हाँ, बिल्कुल सही पढ़ा आपने… बीबीसी ने उसी वक्त लिखा था कि यह एक नेगेटिव नैरेटिव बनाने का प्रयास था, जिसे उनके विरोधियों द्वारा चलाया गया था। बीबीसी हिंदी ने यह भी लिखा कि – “जिस राजनीतिक सुचिता का हवाला देकर इस फैसले के बचाव की कोशिश की जा रही है, वो खुद सोरेन परिवार में नहीं बची। इसलिए उनका ये तर्क गले नहीं उतरता।”
बीबीसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि “कांग्रेस चंपई सोरेन से नाखुश थी। पार्टी की प्रेशर पॉलिटिक्स चंपई सोरेन पर काम नहीं कर रही थी। ऐसे में ये नाराज़गी और न बढ़ जाए इसलिए आनन-फानन में ये फैसला लिया गया।”
बीबीसी की वह रिपोर्ट आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं।
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इस से यह स्पष्ट है कि ये खबरें पूरी तरह से फर्जी है जिसका उद्देश्य भ्रम फैला कर पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन को बदनाम करना है।
इक्कीसवीं सदी में सोशल मीडिया फर्जी प्रोपेगेंडा फैलाने का सबसे सशक्त माध्यम बन कर उभरा है, जिसके इस्तेमाल में सावधानी बरतने की जरूरत है। किसी भी अखबार की कटिंग अथवा न्यूज पोर्टल की खबर को सच मानने या शेयर करने से पहले उसकी जाँच जरूरी है।
अगर आपको कोई ऐसी संदिग्ध खबर मिले, तो उसे factcheck@adiwasi.com पर ई-मेल करें। हमारी टीम उसकी जाँच कर के, तथ्यों का पता लगाने का प्रयास करेगी।