रांची। गुजरात व राजस्थान के आदिवासियों के एक समूह ने विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर उलिहातू से आदिवासी सुरक्षा यात्रा की शुरुआत की है, जो सात राज्यों के आदिवासी बहुल क्षेत्रों से गुजरेगी। इससे पूर्व राजू वल्लई व विजय कुजूर के नेतृत्व में समूह के लोगों ने भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्वा-सुमन अर्पित किया और उलिहातू से माटी संग्रह किया।
राजू वल्लई ने मीडिया से बातचीत करते हुए 54 दिवसीय इस यात्रा के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश भर के आदिवासियों का वैचारिक एकीकरण, सांस्कृतिक शुद्धिकरण और सामाजिक राजनीतिक एकता लाना ही इस यात्रा का उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से आदिवासियों पर अत्याचार हो रहा है। ऐसे में आदिवासियों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल बन गया है।
उन्होंने कहा कि अब आदिवासी एक साथ इस यात्रा के माध्यम से हो रहे हमले के खिलाफ खड़े होंगे। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि आदिवासी सामाजिक संगठनों और आदिवासी राजनीतिक दलों का राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन होना चाहिए।
विजय कुजूर ने बताया कि बिरसा के गांव की माटी की खुशबू हर उस आदिवासी बहुल गांव में फैलाई जाएगी, जहां से होकर आदिवासी सुरक्षा यात्रा गुजरेगी।
बताया गया कि आदिवासी सुरक्षा यात्रा झारखंड के उलिहातू, तोरपा, गुमला से छत्तीसगढ़ के जसपुर, मध्यप्रदेश के अमरकंटक, तामिया, चीरापालटा, सीरकम्बा, णार, महाराष्ट्र के खेतिआ, बिसरबाड़ी, गुजरात के सोनगढ़, नवसारी, देवमोगरा, पानवड़, सुकसर होते हुए गुजरात के राजस्थान की सीमा पर स्थित विजयनगर पालचितरिया में दो अक्तूबर को संपन्न होगी, जहां 100 भील आदिवासियों की हत्या राजपूत राजवाड़ी सेना व अंग्रेजों ने कर दी थी।