रांची। कल दिन भर #झारखंड के सोशल मीडिया पर #JPSC की परीक्षा को लेकर विभिन्न प्रकार की चर्चाएं चलती रहीं। #जेपीएससी परीक्षा केंद्र के बाहर बैठ कर OMR Sheet पर जवाब लिख रहे छात्रों के वीडियो ने #Jharkhand की राजनीति में भी भूचाल लाने की कोशिश की।
विपक्षी दलों के नेताओं और शिक्षा का व्यापार चलाने वाले कुछ लोगों ने ऐसा दर्शाने का प्रयास किया, मानो झारखंड सरकार एक परीक्षा लेने में भी सक्षम नहीं है। लेकिन क्या आप इस घटना की पूरी सच्चाई जानते हैं?
सबसे पहला सवाल पेपर लीक का है तो चूंकि परीक्षा शुरू होने से पहले किसी के पास पेपर नहीं मिला, ना ही किसी ने ऐसा दावा किया, ना ही वैसा कोई स्क्रीनशॉट पोस्ट किया गया, तो यह पेपर लीक का मामला ही नहीं बनता। बल्कि यह परीक्षा के दौरान कदाचार से जुड़ा हुआ मामला है।
दूसरी बात, अगर आपको बाहर बैठ कर मोबाइल के साथ एक्जाम देने का मौका मिलेगा, तो क्या आप किसी को विडियो रिकॉर्ड/ वायरल करने देंगे? इस से बड़ी बेवकूफी कुछ हो सकती है क्या? क्योंकि आपको भी पता है कि विडियो वायरल होते ही परीक्षा रद्द हो जायेगी, और आपका नुकसान हो जायेगा। तो फिर सवाल यह उठता है कि खुशी- खुशी विडियो बनवा रहे इन छात्रों का मकसद क्या था? उन्हें प्रश्न पत्र और OMR Sheet कहां से मिला?
यह कहानी शुरू होती है चतरा के एक एक्जाम सेंटर से, जहां कुछ छात्रों ने प्रश्न पत्र के पैकेट की सील खुले होने का आरोप लगाया। कुछ ही मिनटों में प्रशासन के उच्चाधिकारी वहां पहुंचे और उन्होंने पैकेट खोलने के वीडियो की जांच में पाया कि वहां नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है। उनके समझाने पर छात्र परीक्षा देने के लिए तैयार हो गए और वहां परीक्षा शुरू हो गई।
ठीक ऐसी ही घटना जामताड़ा के मिहिजाम स्थित एक परीक्षा केंद्र पर हुई, जहां पर्वेक्षकों के समझाने के बावजूद, उच्चाधिकारियों के वहां पहुंचने से पहले, परीक्षा की शुरुआत में ही करीब 20 छात्र प्रश्न पत्र और OMR Sheet जबरन लेकर वहां से निकल गए। परीक्षा केंद्र के पर्वेक्षकों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया लेकिन वे धक्का-मुक्की कर के नारेबाजी करते हुए भाग निकले। ज्ञात हो कि किसी भी परीक्षा के दौरान अथवा उसके बाद, किसी भी परिस्थिति में परीक्षार्थियों को Answer Sheet अपने साथ ले जाने की अनुमति नहीं होती।
इसके बाद, उन्होंने साजिश के तहत जेपीएससी को बदनाम करने तथा परीक्षा को रद्द करवाने के उद्देश्य से परीक्षा केंद्र से बाहर जाकर परीक्षा देने का नाटक कर के दो-तीन विडियो बनवाया और उसे वायरल करवाया। इस काम में उन्हें कुछ शिक्षा के व्यापारियों और नेताओं का भरपूर साथ मिला। चूंकि वे परीक्षा केंद्र से बाहर निकल चुके थे तो उस नकली परीक्षा के बाद, उनकी ओएमआर शीट वापस जमा होने की कोई गुंजाइश नहीं बची थी।
इस घटना के बाद जिले के वरिष्ठ अधिकारी वहां पहुंचे और लगभग पूरी परीक्षा के दौरान वहां डटे रहे। पूरे कैंपस को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया। बाहर निकल चुके परीक्षार्थियों समेत किसी भी व्यक्ति के आने जाने पर रोक लगाई गई। छात्रों के अनुसार, पहली पाली की परीक्षा के बाद, बीच में भी परीक्षार्थियों को बाहर जाने नहीं दिया गया, बल्कि कैंपस में ही प्रशासन की ओर से जलपान का इंतजाम किया गया।
वास्तव में, कुछ हफ्तों से परीक्षा की तारीख बढ़वाने का प्रयास कर रहे इन परीक्षार्थियों का मकसद येन केन प्रकारेण परीक्षा को रद्द करवाना था। हालांकि उसके लिए जो तरीका उन्होंने चुना, वह उनकी आपराधिक मानसिकता को दर्शाता है। इस घटना के बाद जिला प्रशासन द्वारा आनन फानन में एक एसआईटी का गठन किया गया, जिसने जांच के बाद दो प्राथमिकियां दर्ज की हैं।
पहली प्राथमिकी (FIR) कार्यपालक पदाधिकारी जामताड़ा एजाज हुसैन अंसारी के लिखित आवेदन पर किया गया है, जिसमें मिहिजाम थाना कांड संख्या 20/24 भादवि की धारा 143, 188, 353, 379, 454, 504, 120B के तहत विनीत कुमार सहित अज्ञात 50 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। वहीं दूसरा एफआईआर दंडाधिकारी रामप्रवेश कुमार के द्वारा कांड संख्या 21/24 भादवि की धारा 143, 188, 353, 379, 454, 504, 120B के तहत 20 परीक्षार्थियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। इन दोनों मामलों में षडयंत्र कर परीक्षा बाधित करना और सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। इस मामले से जुड़े सारे साक्ष्य एवं वीडियो पुलिस के पास मौजूद हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद, इस साजिश को अंजाम देने में उनका साथ देने वाले तमाम लोगों पर कार्यवाई होगी।
चूंकि पेपर लीक हुआ ही नहीं है, इसलिए जेपीएससी की इस परीक्षा के रद्द होने का सवाल ही नहीं पैदा होता। झारखंड पुलिस ने जिस तेजी से इस मामले का खुलासा किया है, वह सराहनीय है। हमारी सरकार से मांग है कि इस साजिश के द्वारा छात्रों को भड़काने और राज्य में अशांति का माहौल बनाने वाले सभी लोगों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई हो।