जम्मू। जम्मू-कश्मीर जनजातीय मामलों के विभाग ने आदिवासी गांवों में डेयरी फार्म और भेड़ फार्मों के लिए 40 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं। वहीं छोटे भेड़ फार्म के लिए 15 करोड़ रुपये का परिव्यय तय किया गया है। एक सरकारी प्रवक्ता ने मंगलवार को यह जानकारी दी। प्रवक्ता ने बताया कि यह जानकारी जनजातीय मामलों के विभाग के सचिव शाहिद इकबाल चौधरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में दी गई।
उन्होंने कहा कि प्रवासी आबादी के लिए लघु भेड़ फार्म, दुग्ध गांवों, दूध शीत संयंत्र, डेयरी फार्म और टेंट की स्थापना की प्रगति की समीक्षा की गई। प्रवक्ता ने कहा कि अगले वित्त वर्ष के लिए क्षेत्रीय योजना प्रस्तावों पर भी चर्चा की गई। इससे साल की शुरुआत में विकास कार्यों को समय पर शुरू किया जा सकेगा। प्रवक्ता ने कहा, विभाग ने आदिवासी गांवों में डेयरी फार्म और भेड़ फार्म के लिए 40 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया है।
जम्मू क्षेत्र में रियासी, डोडा, कठुआ, सांबा, राजौरी और पुंछ, कुपवाड़ा, अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा, गांदरबल, श्रीनगर और शोपियां सहित विभिन्न जिलों में लगभग 750 मिनी भेड़ फार्म स्थापित किए गए हैं, जिससे 3,000 की आबादी लाभान्वित हुई है। इस बीच, योजना के दूसरे चरण में जम्मू संभाग में किश्तवाड़, उधमपुर, रामबन और जम्मू और घाटी में बारामूला, बडगाम और बांदीपोरा शामिल होंगे। प्रवक्ता ने बताया कि छोटे भेड़ फार्म के लिए 15 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित गया है।
उन्होंने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं और केंद्र शासित प्रदेश पूंजीगत व्यय के तहत 17 स्थानों पर दुग्ध गांव स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे 1,500 से अधिक परिवारों को लाभकारी रोजगार मिलेगा। प्रवक्ता ने बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा अधिसूचित एकीकृत डेयरी विकास योजना को अपनाकर दुग्ध ग्राम योजना का पुनर्गठन किया गया है।