उदयपुर। आदिवासी युवा को कृषि की ओर आकर्षित करने से ही जनजातीय कृषि का विकास होगा। ये विचार महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एनएस राठौड़ ने वाग्धारा के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय गोष्ठी में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि दक्षिणी राजस्थान के प्रमुख आदिवासी जिले बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ सिरोही और उदयपुर मुख्यतया भील आदिवासी समुदाय का निवास स्थान है, लेकिन आज भी ये जिले बुनयादी सुविधाओं में पिछड़े हैं।
भौगोलिक रूप से देश के सबसे बड़े प्रदेश की 75 प्रतिशत से अधिक मिट्टी का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है। नाइट्रोजन, फास्फोरस, सल्फ र, जिंक और आयरन की कमी आम समस्या है। सरकार की मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कृषि के पांच घटकों, जिसमें मिट्टी, पानी, बीज व उर्वरक मशीनरी, जलवायु और किसान को बताते हुए इस पर एक साथ काम करने की बात कही। सरकार की मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कृषि के पांच घटकों, जिसमें मिट्टी, पानी, बीज व उर्वरक मशीनरी, जलवायु और किसान को बताते हुए इस पर एक साथ काम करने की बात कही।