रांची। अगर आप जमशेदपुर में रहते हों अथवा कभी वहाँ गए हों, तो निश्चित तौर पर आपने शहर के हर कोने में लगे नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी के होर्डिंग देखे होंगे। लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि छात्रों को लुभाने के लिए इतना खर्च करने वाला यह विश्वविद्यालय वास्तव में अपने वेंडरों के पैसे हड़प रहा है?
अगर एक शैक्षणिक संस्थान लोगों के साथ धोखाधड़ी करने लगे, तो वह अपने छात्रों को कैसे नैतिक मूल्य सिखाता होगा, यह स्वतः ही समझा जा सकता है।
दरअसल नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी पर जमशेदपुर के एक स्थानीय वेंडर तथा सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी इंफोगेट के सुधीर कुमार ने यह आरोप लगाया है कि उन्होंने उन से वेबसाइट से संबंधित काम करवा कर लगभग 35 हजार रुपये नहीं दिए। अपने आरोपों के साथ सबूत के तौर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के नागेंद्र सिंह से हुई चैट का स्क्रीनशॉट तथा मेल द्वारा कई बार भेजे गए इनवॉइस की कॉपी भी दिखाई है, जिस पर यूनिवर्सिटी ने कोई जबाब नहीं दिया है।
यह सारे इनवॉइस नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी की वेबसाइट तथा उसी ग्रुप के नेताजी सुभाष पब्लिक स्कूल की विभिन्न शाखाओं की वेबसाइट से संबंधित सेवाओं के हैं। इस निजी विश्वविद्यालय ने उस लोगो डिज़ाइन के भी पैसे नहीं दिए, जिसे वे पूरी बेशर्मी के साथ, हर होर्डिंग में इस्तेमाल करते हैं। इस से, पहले पैसे देने का झूठा वादा कर के नागेंद्र सिंह ने उनसे सभी डोमेन तथा अन्य वेब सेवाएँ स्थानांतरित करवा लिया।
पिछले तीन सालों से व्हाट्सएप्प पर चल रहे वार्तालाप को पढ़ने पर यह स्पष्ट है कि यूनिवर्सिटी की ओर से नागेंद्र सिंह कभी कोई तारीख देते, कभी अकाउंटेंट का फोन नंबर देते तो कभी आकर मिलने को कहते रहे। अकाउंटेंट ने भी पहले तो इनवॉइस ई-मेल करने को कहा, फिर ई-मेल मिलने के बाद उसने भी फोन उठाना बंद कर दिया। अंततः उनके रवैये से तंग आकर वेंडर ने उनकी एक वेबसाइट www.nspsjsr.com पर एक नोटिस लगा दिया है।
इस संबंध में इंफोगेट के प्रतिनिधियों ने शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों से शिकायत की है तथा प्रदेश के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को भी एक पत्र लिखा है। वे इस मुद्दे पर राज्यपाल और केंद्रीय मानव संसाधन विभाग को भी पत्र लिख रहे हैं।