रांची। झारखंड सरकार नई नियोजन नीति को लेकर गंभीर दिखाई देती है। इसी महीने, 27 फरवरी से शुरू हो रहे झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में इसके लिए विधेयक लाने की तैयारी की जा रही है।
इससे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की आवाज में उम्मीदवारों को प्री-रेकॉर्डेड कॉल आ रही है, जिसमें नियुक्ति प्रक्रिया को शुरू करने के लिए उम्मीदवारों की राय पूछी जा रही है। दरअसल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की आवाज में उम्मीदवारों को कॉल कर के ‘1932 के खतियान के लिए रुकने’ अथवा ‘पुरानी नीति पर नियुक्तियां करने’ के बारे में पूछा जा रहा है। इस कॉल के बाद युवाओं में यह उम्मीद जगी है कि सरकार द्वारा जल्द ही इस दिशा में कुछ पहल की जाएगी।
ज्ञात हो कि दो महीने पहले झारखंड हाई कोर्ट ने नियोजन नीति को रद्द कर दिया था। इसके बाद सरकार ने यह घोषणा की थी कि वह दो महीने के भीतर नई नियोजन नीति लाएगी। दरअसल नियोजन नीति के खारिज होने के बाद राज्य सरकार इसको लेकर अब बहुत सोच समझकर कदम उठा रही है। सरकार की यह मंशा है कि झारखंड के युवाओं के हित में जल्द से जल्द नयी नियोजन नीति लायी जाय ताकि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके।
सरकार चाहती है कि पूर्व की तरह नई नियोजन नीति किसी तरह के विवादों में नहीं आये। इसलिए उम्मीदवारों से सीधे कॉल कर सलाह ली जा रही है कि क्या किया जाए? इस कॉल के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की आवाज में बताया जाता है कि सरकार नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करना चाहती है पर नियोजन नीति के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं जाना चाहती है। हमें क्या करना चाहिए? क्या हम 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति को नौवीं अनुसूची में शामिल होने का इंतजार करें या फिलहाल 2016 से पहले की नियोजन नीति के आधार पर नियुक्ति की जाए?
कैसी होगी नई नियोजन नीति?
सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार अपने चुनावी घोषणा पत्र को ध्यान में रखकर जल्द से जल्द नियोजन नीति लागू करने की पक्षधर है। सरकार में शामिल प्रमुख सहयोगी दल कांग्रेस ने भी मुख्यमंत्री पर जल्द-से-जल्द नियोजन नीति लागू करने का दवाब बनाया है। जानकारों का कहना है कि 1932 के आधार पर स्थानीय नीति बनाकर नियोजन की प्रक्रिया शुरू करने में समय लग सकता है, जबकि अगले वर्ष झारखंड में विधानसभा का चुनाव भी होना है। सरकार चुनाव से पहले नियुक्तियां करना चाहती है।
इसलिए अभ्यर्थियों की राय लेकर, यथाशीघ्र पुरानी नीति के आधार पर एक ऐसी नीति बनाने की तैयारी है, जिस पर कोई विवाद ना हो। सरकारी सूत्रों के अनुसार, भविष्य में 1932 का खतियान लागू होने के बाद, उस पर आधारित नीति बनाई जाएगी।