रांची। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के बारे में कहा जाता है कि यह सोशल मीडिया पर खासी एक्टिव है, और जनता के साथ संवाद के लिए इसका उपयोग करती है। आज फिर एक बार साबित हुआ कि ना सिर्फ यह सरकार सोशल मीडिया के द्वारा शिकायतें सुनती है, बल्कि वहाँ से मिल रहे सुझावों पर भी अमल करने में हिचकिचाती नहीं है।
इसी महीने 2 जून को आदिवासी डॉट कॉम ने राज्य के करीब सवा सौ SMPO, APRO तथा साउंड ऑपरेटर का मामला उठाया था, जिनका सेवा विस्तार 4 फरवरी से लम्बित था। दरअसल सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अंतर्गत कार्यरत ये अधिकारी एक निजी कम्पनी में काम करते हैं, जिनके द्वारा इनका नियोजन विभिन्न जिलों में किया गया है।
इनकी नियुक्ति पिछली सरकार द्वारा की गई थी, और इनका अनुबंध इसी वर्ष 4 फरवरी को समाप्त हुआ। उसके बाद चुनावों के समय भी यह अधिकारी लगातार काम करते रहे, जबकि इनका वेतन रूक गया था, तथा इनके भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे थे। ऐसे कठिन समय में, इनमें से कुछ अधिकारियों ने अपना दुःख हमारी टीम से साझा किया।
चूँकि ये अधिकारी सोशल मीडिया पर जिला प्रशासन व आम जनता के बीच सेतु का काम करते हैं, तो जन-हित में हमने इस मुद्दे की गंभीरता को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं विभाग को ट्वीट किया।
ट्विटर के जरिये आम जनता को मदद दिलवाने की महत्वपूर्ण कड़ी, जिलों में उपायुक्तों के ऑनलाइन सहयोगी- SMPO, APRO समेत 130 अन्य लोगों का वेतन फरवरी से लंबित है, उनका कॉन्ट्रैक्ट भी Renew नहीं हुआ है।@HemantSorenJMM जी, सबकी मदद करने वालों को आज आपकी मदद की जरूरत है। @prdjharkhand
— Adiwasi.com (@AdiwasiVoice) June 2, 2022
इसके दस दिनों के भीतर, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग ने ना सिर्फ इनके अनुबंध को एक साल के लिए बढ़ा दिया, बल्कि इनकी बकाया राशि के भुगतान को लेकर भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस बाबत जानकारी देते हुए कुछ अधिकारियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को धन्यवाद दिया।
हमारे सुझावों को स्वीकार करने के लिए हम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं सूचना तथा जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों के शुक्रगुजार हैं, और यह वादा करते हैं कि, आगे भी, हम जन-सरोकार के मुद्दे उठाते रहेंगे।