जयपुर। राजस्थान के आम्बागढ़ (आमागड़) किले में निर्दलीय विधायक की अगुआई में भगवा ध्वज हटाने का मामला सामने आया है। घटना बुधवार दोपहर की है जब युवाओं के एक समूह ने आम्बागढ़ की पहाड़ी पर लगे एक केसरिया ध्वज को उखाड़ दिया। बताया जाता है कि कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा की मौजूदगी में यह सब हुआ।
इस मामले के सोशल मीडिया पर वायरल होने का बाद राजस्थान में राजनैतिक भूचाल आ गया है। एक ओर भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा अन्य हिंदूवादी संगठनों में भारी नाराजगी है, तो वहीं दूसरी ओर आदिवासी समाज का कहना है कि यह किला उनके पुरखों की निशानी है, तथा वहाँ यह ध्वज लगाना ही गलत था।
इस मामले पर कांग्रेस अभी भी अपना नफा-नुकसान देख रही है, और उसने कोई आधिकारिक स्टैंड नहीं लिया है। जिस जगह ये ध्वजा लगी हुई थी, वहां के स्थानीय कांग्रेस विधायक रफीक खान से जब इस मुद्दे पर बात की गई, तो उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक धरोहरों से छेड़छाड़ करना अनुचित है। ना तो मैं ध्वजा लगाने के पक्ष में था और ना ही इसे हटाने के पक्ष में हूँ।
दरसल यह किला राजस्थान के मीणा-आदिवासी समाज के गौरवशाली अतीत से जुड़ा है, और इसमें मीणा समाज की कुलदेवी माने जाने वाली आम्बा माता का मंदिर भी है। कुछ दिनों पहले यहाँ कुछ लोगों ने वह ध्वज लगा दिया था, जिसको लेकर स्थानीय मीणा समाज में नाराजगी थी। मीणा समाज के लोगों का कहना है कि आरएसएस के लोग हमारी ऐतिहासिक धरोहरों से खिलवाड़ कर रहे हैं।
“ऐतिहासिक धरोहर है, इतिहास से छेड़ छाड़ बर्दाश्त नहीं”
गंगापुर सिटी से निर्दलीय विधायक व राजस्थान आदिवासी मीणा सेवा संघ के अध्यक्ष रामकेश मीणा का कहना है कि आम्बागढ़ दुर्ग मीणा समाज की ऐतिहासिक धरोहर है और यहां मीणाओं का ही शासन रहा है। यहां पर प्राचीन आंबा माता का मंदिर भी है। कुछ असामाजिक तत्वों ने यहाँ पर केसरिया ध्वजा फहराकर मीणा समाज के इतिहास से छेड़ छाड़ की है। यही वजह है कि यहां से इस ध्वजा को हटाया गया है। ऐसी हरकत दुबारा ना हो इसके लिऐ संघ की सूरजपोल इकाई को जिम्मेदारी सौंपी गई है। आरएसएस और कुछ अन्य लोग किले पर कब्जा करना चाहते हैं।
प्रसिद्ध आदिवासी विचारक व लेखक हंसराज मीणा ने भी ट्वीट कर के इस घटना पर नाराजगी जताई – “जयपुर की गलता की पहाड़ियों में स्थित आम्बागढ़ किले में मीणाओं की कुलदेवी के स्थल के साथ कुछ मनुवादी ताकतें छेड़छाड़ कर रही है। यह असहनीय है। विधायक रामकेश मीणा जी द्वारा लड़ी जा रही इस सम्मान और अस्तित्व की लड़ाई में मेरा उनको साथ व समर्थन है। जय जोहार।”
इस घटना को लेकर, आदिवासी समाज के युवा सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे हैं, जिसमें आदिवासियों के गौरवशाली इतिहास से छेड़-छाड़ ना करने की चेतावनी दी जा रही है। कई आदिवासी संगठनों ने इस घटना के विरोध में आगामी 9 अगस्त को “विश्व आदिवासी दिवस” के दिन, आम्बागढ़ के किले में चलने का आह्वान भी किया है।
सोशल मीडिया पर इस मामले के पक्ष और विपक्ष में उठती आवाजों के बीच, स्थानीय थाने में विधायक और उनके समर्थकों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज हुई है।