चांडिल। सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल स्थित बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड कंपनी में स्थानीय रैयतदारों को कंपनी में रोजगार देने की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है। ज्ञात हो कि यह कंपनी साल 2013 में बंद हो चुकी थी, और नए प्रबंधन द्वारा इसे दोबारा खोला जा रहा है।
स्थानीय विस्थापितों का आरोप है कि कंपनी के नए प्रबंधन ने उन 225 विस्थापितों को त्यागपत्र देने को कहा है, जो कंपनी बंद होने के समय काम कर रहे थे। स्थानीय विस्थापित नितेश वर्मा कहते हैं – “एक ओर तो झारखंड सरकार निजी क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण की बात करती है, वहीं दूसरी ओर यहाँ एकमुश्त 225 लोगों का रोजगार छिना जा रहा है। ये सभी लोग कंपनी के स्थायी कर्मचारी हैं, जो वर्षों से काम कर रहे हैं। वास्तव में कंपनी इनकी ही जमीन पर बनी हुई है, और इसी वजह से उन्हें यह नौकरी मिली थी। आज कंपनी प्रबंधन उन पर यह दबाव बना रहा है कि वे इस्तीफा देकर, अस्थायी कर्मचारी के रूप में काम करें, जो सरासर अन्याय है।”
“हम झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी और श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता जी से माँग करते हैं कि वे कंपनी को ऐसा करने से रोकें, क्योंकि पिछले आठ वर्षों में कंपनी बंद रहने की वजह से इन कर्मचारियों की आर्थिक हालत बहुत खराब हो चुकी है। इसके अलावा कंपनी को यह भी निर्देश दिया जाना चाहिये कि वे अन्य आपूर्ति तथा सेवाओं में भी स्थानीय विस्थापितों को प्राथमिकता दें, ताकि वे रोजगार पा सकें।”
ज्ञात हो कि इस मुद्दे को लेकर, चांडिल अनुमंडल सभागार में विधायक सविता महतो, एसडीओ रंजीत लोहरा और पांच ग्राम विस्थापित व प्रभावित समिति की त्रिपक्षीय बैठक हुई थी, जहां कंपनी में पुराने कामगारों और स्थानीय लोगों को रोजगार देने पर वार्ता हुई, लेकिन उसका कोई परिणाम नहीं निकला। आज, फिर एक बार, इस मुद्दे पर बैठक होनी है।
आवश्यकता के हिसाब से गांव वालों को रखा जायेगा: जीएम
दूसरी ओर, बिहार स्पंज आयरन के जीएम आरके शर्मा ने बताया कि अभी प्लांट चालू नहीं हुआ है। जब प्लांट चालू होगा तब आवश्यकता के अनुसार गांव वाले तथा पुराने वर्कर जो काम लायक हैं, उनको रखा जायेगा। जिस तरह से हंगामा किया जा रहा है इससे प्लांट के सेहत पर असर पड़ सकता है।