Connect with us

Hi, what are you looking for?

Adiwasi.com

Exclusive

मुख्यमंत्री के संज्ञान ने बदली एक अनाथ सबर बच्ची की जिंदगी

जमशेदपुर। भारत में ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लैटफार्म का सर्वश्रेष्ठ उपयोग देखना हो, तो झारखंड आइये। यहाँ हर दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी सरकार के कई मंत्री, विधायक तथा अधिकारी ट्विटर पर आम जनता की शिकायतें ना सिर्फ सुनते हैं, बल्कि उनका त्वरित निष्पादन भी करते हैं।

उदाहरण के तौर पर, इसी महीने 9 अप्रैल को जमशेदपुर के प्रभात खबर में गालूडीह (पूर्वी सिंहभूम) की रहने वाली एक 7 साल की बच्ची सोमवारी सबर के बारे में एक दुखद खबर छपी थी, जिसके अनुसार उसकी माँ की मृत्यु के बाद, वह बच्ची अनाथ हो गई थी। एक आदिम जनजाति (सबर) से ताल्लुक रखने वाली सोमवारी के पिता का निधन भी एक महीने पहले ही हुआ था।

इस खबर को किसी ने ट्विटर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक पहुँचाया, तो उन्होंने देर रात पूर्वी सिंहभूम की उपायुक्त विजया जाधव को उस बच्ची को सभी जरूरी योजनाओं का लाभ पहुँचाने का निर्देश दिया। साथ ही साथ, उन्होंने राज्य के आदिवासी कल्याण मंत्री चंपई सोरेन को भी इस मामले का संज्ञान लेने को कहा।

मुख्यमंत्री के संज्ञान के बाद, मंत्री चंपई सोरेन की पहल पर, जिला प्रशासन की टीम हरकत में आ गई। ट्वीट आने के घंटे भर के भीतर ही मंत्री चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि – “यह मामला मेरे संज्ञान में है और जिला प्रशासन की टीम आज उस बच्ची से मिलने गई थी। उस परिवार को सामाजिक सुरक्षा की अधिकतम योजनाओं से जोड़ा जा रहा है, और सरकार द्वारा उस बच्ची की शिक्षा का भी इंतजाम किया जाएगा।”

जबकि अगली सुबह उपायुक्त ने अपने जबाब में लिखा कि – “मृत परिवार के आश्रित बालिका जिसकी उम्र 7 साल है उसको सभी प्रकार के कल्याणकारी योजनाओं के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है तथा उसके शिक्षा के लिए सुयोग्य कदम उठाए जाएंगे। जिले के सभी प्रखंडों के सबर एवं अन्य आदिम जनजाति के लोगों का डेमोग्राफिक प्रोफाइल तैयार करके सिस्टमैटिक वे में सभी को कल्याणकारी योजनाओं के साथ जोड़ा जाएगा।”

इस बीच, कई बार स्थानीय अधिकारी सोमवारी के गाँव पहुँचे, और उसे राशन तथा अन्य सुविधाएँ मुहैया करवाया गया। दरअसल जिला प्रशासन उस बच्ची की उचित देखभाल करते हुए उसके माता के अंतिम क्रिया-कर्म के खत्म होने का इंतजार कर रहा था। और जैसे ही, यह प्रक्रिया पूरी हुई, अधिकारियों ने मासूम सोमवारी को आज जिले की उपायुक्त से मिलवाया। एक माँ की तरह उस नादान बच्ची पर अपनी ममता व प्यार उड़ेलते हुए विजया जाधव ने उस बच्ची को अपनी गोद में बिठाकर प्यार किया और ढेरों आशीर्वाद दिया।

फिर, उन्होंने सोमवारी को एडुकेशनल किट (बैग, किताब, कॉपी, टिफिन बॉक्स, पेंसिल, जूते, चप्पल), 10 सेट स्कूल ड्रेस एवं अन्य ड्रेस, फल, टॉफी, हॉर्लिक्स, खिलौने आदि दिए। उन्होने बताया कि सोमवारी के पठन-पाठन हेतु उसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालय, गोलमुरी में नामांकन कराया गया है तथा इसकी देखभाल के लिए दो महिला पदाधिकारियों को अभिभावक के रूप में भी नियुक्त किया गया है, जो नियमित अंतराल में सोमवारी के शिक्षा एवं देखभाल हेतु मिलते रहेंगी। सोमवारी का हेल्थ चेक-अप कराया गया, जिसमें सभी रिपोर्ट सामान्य थे। उन्होंने कहा कि सोमवारी की माता के मृत्यु उपरांत के कर्मकांड के कारण 10 दिनों बाद मिल पायीं, हालांकि जिला प्रशासन के पदाधिकारी लगातार इसके गांव के लोग एवं परिजनों से संपर्क में रहे।

उपायुक्त विजया जाधव ने मासूम सोमवारी से मिलने के बाद कहा कि इसके संबंध में अखबार से मिली खबर द्रवित करने वाली थी। इस नन्ही सी उम्र में अनाथ होना तथा देखभाल के लिए कोई अभिभावक नहीं होने पर जिला प्रशासन का दायित्व बनता था कि इसके लिए समुचित उपाय किए जाएं। जिला प्रशासन की टीम खबर पढ़ते ही उसके गाँव पहुँची थी, और मुख्यमंत्री के संज्ञान के बाद मामले को गंभीरता से हैंडल करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को लगाया गया। उन्होने आश्वस्त किया कि मासूम सोमवारी को अब कोई कठिनाई नहीं होगी, और जिला प्रशासन की टीम यह सुनिश्चित करेगी कि अब इस मासूम के जीवन में खुशियां ही खुशियां आए।

उपायुक्त ने कहा कि सबर एवं अन्य आदिम जनजाति परिवारों को लेकर जिला प्रशासन काफी संवेदनशील है तथा वैसे सभी गांवों में नियमित रूप से मासिक हेल्थ कैंप आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। जिन लोगों को आवास की आवश्यकता है ऐसे लाभुकों को बिरसा आवास योजना के तहत अविलंब आच्छादित किया जाएगा एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी दिया जाएगा। जिले के सभी प्रखंडों के सबर एवं अन्य आदिम जनजाति के लोगों का डेमोग्राफिक प्रोफाइल तैयार करके व्यवस्थित तरीके से सभी को कल्याणकारी योजनाओं से जोड़े जाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।

सोमवारी के जीवन में आए इस बदलाव से मंत्री चंपई सोरेन भी खुश दिखे। उन्होंने कहा – “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी के नेतृत्व में हमारी सरकार प्रदेश के हर उस व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश कर रही है, जिसे मदद की जरूरत हो। हर दिन धरातल पर तथा सोशल मीडिया के माध्यम से सैकड़ों लोगों को मदद मिल रही है। सबर, बिरहोर व अन्य आदिम जनजातियों की सुरक्षा व उनके संवर्धन हेतु मौजूद योजनाओं का लाभ हर परिवार तक पहुंचाया जा रहा है। डाकिया योजना द्वारा राशन भेजा जाता है। हमारी सरकार उन्हें शिक्षा, रोजगार तथा रोजगारोन्मुखी शिक्षा से जोड़ते हुए उनके जीवन में बदलाव लाने का प्रयास किया जा रहा है।”

एक ओर जहां केंद्र व अन्य राज्यों में कोई भी अधिकारी या मंत्री जनकल्याण के मुद्दों पर, सोशल मीडिया पर जबाब तक नहीं देते, वहीं झारखंड जैसे राज्य इसका इस्तेमाल एक ऑनलाइन हेल्पलाइन की तरह कर रहे हैं, जिसकी जितनी भी सराहना की जाए, कम होगी।

Share this Story...
Advertisement

Trending

You May Also Like

Jharkhand

यह कहानी रांची के मुड़मा (मांडर) से शुरू होती है, जहां के एक आदिवासी बच्चे (संजय कुजूर) ने सपने तो बहुत बड़े बड़े देखे...

Jharkhand

रांची। झारखंड में #INDIA गठबंधन की सरकार ने विश्वास मत जीत लिया है। विधानसभा में हुए शक्ति परीक्षण में सत्ता पक्ष को 47 वोट...

Jharkhand

रांची। बिहार में सियासी रस्साकशी के बाद अब देश की निगाहें झारखंड की सियासत पर टिकी हुई है। जमीन घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग...

Jharkhand

रांची। झारखंड सरकार के 4 साल पूरे होने के अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लाभुकों...

error: Content is protected !!