गांधीनगर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने द्रौपदी मुर्मू के भारत की राष्ट्रपति चुने जाने को “ऐतिहासिक घटना” करार देते हुए शनिवार को कहा कि उनकी जीत उन लोगों को करारा जवाब है जो आदिवासी सशक्तिकरण की केवल बात करते हैं लेकिन समुदायों को बांटते हैं। शाह ने कहा कि आदिवासियों का सशक्तिकरण केवल इस बारे में बात करके नहीं बल्कि ऐसे कदमों (मुर्मू के निर्वाचन) से होता है। उन्होंने कहा कि आदिवासी संथाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाली और बहुत पिछड़े क्षेत्र से आने वालीं द्रौपदी मुर्मू का देश के शीर्ष पद पर आसीन होना “लोकतंत्र की बहुत बड़ी जीत है।”
केंद्रीय गृह मंत्री ने नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने वाले दो उम्मीदवारों में से किसी एक का जीतना सामान्य बात है, लेकिन श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनने के लिए जीत देश की आजादी के 75 वर्षों के इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना है। शाह ने इस मौके पर नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी में कई परियोजनाओं की शुरुआत भी की। उन्होंने कहा कि मुर्मू की जीत उन लोगों को करारा जवाब है जो केवल आदिवासी सशक्तिकरण की बात करते हैं और विभिन्न समुदायों को बांटने का काम करते हैं और इसके नाम पर राजनीति करते हैं। शाह ने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नामों का भी उल्लेख किया।
गौरतलब है कि दोनों ही केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में रहने के दौरान देश के शीर्ष संवैधानिक पद के लिए चुने गए थे। केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि जहां कलाम ने देश की रक्षा प्रणाली को मजबूत करके और भारत को विज्ञान के क्षेत्र में विश्व मानचित्र पर लाकर राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान दिया, वहीं बहुत ही गरीब दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाले कोविंद संघर्ष के बल पर राष्ट्रपति पद पहुंचे। उन्होंने कहा, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ऐसे क्षेत्र से आती हैं, जहां कई लोग यह भी नहीं जानते कि राष्ट्रपति क्या होता है।