रांची। झारखंड के रांची, खूंटी और सरायकेला-खरसावां में सोने की पांच नई खदानों का पता चला है। अब खान विभाग इसके बारे में पूरी जानकारी लेने में जुट गया है। नये सिरे से इन जगहों पर सोने की गुणवत्ता व भंडारण के लिए अन्वेषण होंगे। इसके बाद गोल्ड माइंस ब्लॉक तैयार किया जायेगा। खान विभाग द्वारा अन्वेषण की जिम्मेवारी झारखंड एक्सप्लोरेशन एंड माइ़निंग कॉरपोरेशन लि (जेइएमसीएल) को सौंपी गयी है, जो जल्द ही अन्वेषण का कार्य शुरू करेगा।
प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट के अनुसार, रांची जिले के तमाड़ प्रखंड के बरोडाटोली सोना खदान का पता चला है, जो 8.97 वर्ग किमी में है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआइ) ने इसकी प्रारंभिक जांच की है और सोना खदान की पुष्टि की है।
उधर, खूंटी जिले के अड़की प्रखंड में 2.40 वर्ग किमी क्षेत्र में पोंडेपाइ सोना खदान का पता चला है। इसके अलावा अड़की प्रखंड के जोजेबेरा-उलिहुरांग में भी 12.03 वर्ग किमी क्षेत्र में सोने के खदान का पता चला है। इन दोनों जगहों पर भी जीएसआइ ने प्रारंभिक जांच कर सोना खदान का पता किया है।
वहीं, सरायकेला-खरसावां जिले के कुचाई प्रखंड में हुरुंगडाह सोना खदान की पुष्टि भी की गयी है, जिसका क्षेत्रफल 2.55 वर्ग किमी है। सरायकेला- खरसावां में ही हेबेन सोना खदान की पुष्टि भी जीएसआइ ने की है। हालांकि, अभी इसकी और गहराई से पड़ताल की जायेगी।
परासी है देश का सबसे बड़ा सोना खदान
झारखंड में ज्ञात अब तक के सोना खदानों में रांची जिले के तमाड़ प्रखंड स्थित परासी देश का सबसे बड़ा सोना खदान है। यह खदान 69.240 हेक्टेयर में फैला है। परासी में 9.894 लाख टन सोना अयस्क का भंडार है। इसके साथ ही यहां 8.90 टन चांदी, 82.46 टन लीड, 369.54 टन निकेल, 230.33 टन कोबाल्ट, 98.94 टन मोलीबेडनम, 103.88 टन टिन और 102.40 टन गैलियम का भी भंडार भी है। इस वजह से यह देश का सबसे बड़ा सोना खदान माना जाता है। इसे रूंगटा माइंस ने नीलामी में वर्ष 2017 में हासिल किया था, हालांकि अब तक फॉरेस्ट क्लीयरेंस व अन्य वजहों से यह खदान आरंभ नहीं हो सका है।
इसके अलावा सरायकेला स्थित लावा सोना खदान चालू है, जिसे मनमोहन मिनरल्स द्वारा चलाया जाता है। सरायकेला-खरसावां जिले का कुंदरकोचा सोना खदान भी मनमोहन मिनरल्स को मिला है, पर कुछ कारणों से यह खदान बंद है। प. सिंहभूम स्थित पहाड़डिया गोल्ड माइंस जिसे दिल्ली की कंपनी मैथन इस्पात ने नीलामी में हासिल किया है, हालांकि अब तक यहां से खुदाई आरंभ नहीं हो सकी है। (प्रभात खबर)