रांची। झारखंड के प्रतिष्ठित संत जेवियर्स स्कूल, डोरंडा में अब ‘आदिवासी भाषाओं की पढ़ाई’ भी होगी। इस आशय का एक प्रस्ताव प्रख्यात शिक्षाविद डॉ. अभय सागर मिंज ने, पिछले दिनों स्कूल प्रबंधन को दिया था, और आज उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस बात की पुष्टि की है कि स्कूल प्रबंधन कमिटी के चेयरमैन फादर अजीत ख़ेस एवं स्कूल के प्रिन्सिपल फादर संजय केरकेट्टा ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
संत ज़ेवीअर स्कूल, डोरंडा में अब होगी 'आदिवासी भाषाओं की पढ़ाई' फादर अजीत ख़ेस एवं फादर संजय केरकेट्टा को हृदय से आभार। आपने प्रस्ताव का सम्मान किया और त्वरित निर्णय लिया। जनजातीय भाषा संरक्षण में एक बड़ा कदम। @HemantSorenJMM @JharkhandCMO @ChampaiSoren @TribalSpaces @IYNI_org pic.twitter.com/2MCIIjHAPN
— Dr. Abhay Sagar Minz (@abhayminz) January 24, 2022
डॉ. अभय ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए स्कूल प्रबंधन को धन्यवाद देते हुए, इसे जनजातीय भाषा संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और बहुत बड़ा कदम बताया है।
इस खबर के सामने आने पर, आदिवासी समाज के एक बड़े वर्ग में खुशी की लहर दौड़ गई है। आदिवासी समाज से जुड़े कई लोगों ने सोशल मीडिया पर, स्कूल द्वारा किए गए इस पहल की सराहना की है।
आदिवासी डॉट कॉम स्कूल प्रबंधन द्वारा उठाए गए इस कदम का स्वागत करता है, और हमारा मानना है कि स्कूली स्तर पर इन भाषाओं की पढ़ाई से ना सिर्फ यह भाषाएँ संरक्षित होंगी, बल्कि युवाओं का इनके प्रति रुझान भी बढ़ेगा। जरूरत यह है कि सरकारी तथा अन्य निजी स्कूलों में भी इन भाषाओं की शिक्षा की शुरुआत की जाए। अगर सरकारी संरक्षण मिले, तो स्कूल/ कॉलेजों में जनजातीय भाषाओं का बढ़ता दखल, वर्तमान काल-खंड को आदिवासी भाषा और संस्कृति का स्वर्णिम युग बना सकता है।
ज्ञात हो कि पिछले महीने ही, झारखंड की राजधानी रांची के डोरंडा स्थित संत जेवियर्स स्कूल के 60 वर्ष पूरे हुए थे। इस अवसर पर 19 दिसंबर को हीरक जयंती समारोह का आयोजन किया गया था।