Connect with us

Hi, what are you looking for?

Adiwasi.com

National

संविधान ‘अनुसूचित जनजाति’ का इस्तेमाल करता है, बहस बेकार: एनसीएसटी अध्यक्ष

नयी दिल्ली। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष हर्ष चौहान ने कहा है कि संविधान जनजातीय लोगों के लिए “अनुसूचित जनजाति” शब्द का इस्तेमाल करता है और इस समुदाय के लिए ‘आदिवासी’ एवं ‘वनवासी’ शब्दों के इस्तेमाल को लेकर कोई भी बहस निरर्थक है।

मध्यप्रदेश में एक रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को कहा था कि आदिवासियों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ‘वनवासी’ शब्द “अपमानजनक” है। गांधी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जनजातियों के लिए इस शब्द का इस्तेमाल करने पर माफी मांगने को कहा था।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था, “कुछ दिन पहले मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक भाषण सुना था जिसमें उन्होंने ‘आदिवासियो’ के लिए ‘वनवासी’ शब्द का इस्तेमाल किया था। इसका मतलब है कि आदिवासी इस देश के पहले स्वामी नहीं हैं और वे केवल वनों में रहते हैं।”

इस विवाद पर राय पूछे जाने पर एनसीएसटी अध्यक्ष ने पीटीआई से कहा, “यह राजनीतिक बहस है। इसका कुछ और मतलब नहीं है। संविधान में न तो ‘आदिवासी’ शब्द है और न ही ‘वनवासी’ शब्द। जनजातीय लोगों के लिए ‘अनुसूचित जनजाति’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है।”

उन्होंने कहा कि संविधान सभा ने काफी सोच विचारकर एवं बहस के बाद संविधान में ‘अनुसूचित जनजाति’ शब्द का इस्तेमाल किया।

हालांकि चौहान ने यह भी कहा कि ‘वनवासी’ शब्द जनजातीय लोगों के लिए अधिक उपयुक्त है।

उन्होंने कहा, “वनवासी शब्द का इस्तेमाल ‘आदिवासी’ से पहले से किया जाता रहा था। ब्रितानी शासनों ने मूलनिवासी समुदायों के लिए ‘आदिवासी’ शब्द का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। ‘वनवासी’ शब्द लंबे समय से, यहां तक कि ‘रामायण काल’ से पहले भी उपयोग में रहा है।”

उन्होंने कहा कि भारत के संदर्भ में आदिवासी शब्द जनजातीय समुदायों को अन्य से भिन्न नहीं करता, क्योंकि “हरेक व्यक्ति दावा करता है कि वह मूल निवासी है।”

चौहान ने कहा, “यदि हर व्यक्ति शुरुआती समय से ही भारत में रह रहा है तो आप कैसे उनके बीच भेद कर सकते हैं।”

राहुल गांधी ने कहा था कि “वनवासी” शब्द के इस्तेमाल के पीछे यह विचारधारा भी है कि भाजपा के राज में जब धीरे-धीरे जंगल खत्म हो जाएंगे, तब जनजातीय समुदाय के लिए देश में कोई जगह नहीं बचेगी। (एजेंसी)

Share this Story...
Advertisement

Trending

You May Also Like

Exclusive

रांची। मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन के नेतृत्व में झारखंड में पेसा (PESA) नियमावली लागू करने की कवायद तेज हो चुकी है। इसी संदर्भ में आज...

Exclusive

रांची। आचार संहिता हटने के तुरंत बाद झारखंड के मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने विधि व्यवस्था को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों, सभी जिलों के उपायुक्त तथा...

National

कोलकाता। कोलकाता के धर्मतल्ला में शुक्रवार को हजारों की संख्या में आदिवासी समाज से जुड़े लोग जुटे, जहां उन्होंने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और...

National

पन्ना। मध्य प्रदेश में आदिवासियों के साथ अपराध की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला पन्ना जिले के गुनौर थाना...

error: Content is protected !!