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अनएकेडेमी के शिक्षक ने आदिवासियों को ‘बेवकूफ’ कहा, संस्थान ने माफी मांगी

नई दिल्ली। शिक्षा से संबंधित एक एडटेक प्लेटफॉर्म अनएकेडेमी के एक शिक्षक का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह आदिवासी समुदाय के लोगों के खिलाफ नस्लीय टिप्पणी करते नजर आ रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अनएकेडेमी ने बयान जारी कर इस तरह की नस्लीय टिप्पणी के लिए बिना किसी शर्त के माफी मांगी है।

मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) की छात्रा हेंगम रिबा ने इस वीडियो को ट्वीट किया था। हालांकि, वीडियो वायरल होने के बाद इसकी चौतरफा आलोचना के चलते इस वीडियो को अनएकेडेमी के यूट्यूब पेज से हटा दिया गया है। दरअसल इस वीडियो में एनएकेडमी के एक शिक्षक सिद्धार्थ सिंह को यह कहते सुना जा सकता है, “आदिवासी लोग जो होता है हमारा, दिमाग तो होता नहीं उनके पास कोई, न ही उनके पास कोई कानूनी कागज होता है जमीन-जायदाद का.”

बता दें कि सिद्धार्थ सिंह यूपीएससी जनरल स्टडीज पढ़ाते हैं। उन्होंने उत्तरपूर्वी राज्यों में हो रही झूम खेती के बारे में बात करते हुई यह विवादित टिप्पणी की। अनएकेडेमी के पोर्टल पर सिंह के प्रोफाइल के मुताबिक, वह 24 जून 2020 से अनएकेडेमी से जुड़े हुए हैं।

इस वीडियो को ट्वीट करने वाली रिबा का कहना है, “सिद्धार्थ सिंह द्वारा की गई टिप्पणियां भारत में आदिवासी समुदायों के संदर्भ में व्यवस्थित सामाजिक, सांस्कृतिक संरचनात्मक कट्टरता को दर्शाती हैं।”

देश के सबसे बड़े एडटेक यूनिकॉर्न में से एक अनएकेडेमी ने बयान जारी कर कहा कि यह हमारे संज्ञान में लाया गया कि सिंह ने आदिवासी लोगों के बारे में भेदभावपूर्ण और आहत करने वाली टिप्पणियां कीं। बयान में कहा गया – “अनएकेडेमी ने मूल वीडियो को इसके मंच से हटा दिया है और हमारी आंतरिक आचार संहिता दिशानिर्देशों के अनुरूप शिक्षक को दंडित किया है। अनएकेडेमी शिक्षक द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर बिना किसी शर्त के माफी मांगती है।”

अनएकेडेमी के मुताबिक, देशभर में कंपनी के 4,000 से अधिक शिक्षक हैं, जिन्हें उनके प्लेटफॉर्म पर पढ़ाने से पहले अनिवार्य और सख्त कोड ऑफ कंडक्ट से गुजरना पड़ता है। बताया गया है कि इस प्रशिक्षण में शिक्षकों को किसी तरह के भेदभावपूर्ण या आहत करने वाली टिप्पणी से बचने की हिदायत दी जाती है। (द वायर)

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