रायपुर। छत्तीसगढ़ बीजेपी की ओर से राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने राज्य सरकार पर नाकामियों के आरोप लगाए हैं। कौशिक ने प्रदेश में 230 किसानों के मौत का आकड़ा पेश कर सरकार को किसानों का शोषण करने वाला बताया है। धान और किसान छत्तीसगढ़ में हमेशा से राजनीति का बड़ा मुद्दा रहा है। कहते हैं कि धान और किसान के दम पर सरकार बनती है और चले जाती है। किसानों के नाम पर सियासत का ताजा मामला आत्महत्या के मामलों का है। इसको लेकर सियासत शुरू हो गई है।
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि 1 जनवरी 2020 से 1 नवंबर 2021 तक राज्यभर में कुल 230 किसानों में आत्महत्या की, जिनमें अनुसूचित जनजाति वर्ग के 97 और अनुसूचि जाति वर्ग के 42 किसान शामिल हैं। बात प्रतिशत की करें 230 में से 60 फीसदी एसटी और एसटी वर्ग के किसानों ने आत्महत्या की है। सरकार पर किसानों के शोषण का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि यह सरकार किसानों की हितौषी बनती है। किसानों के बेहतरी के लिए कार्य करने की दलील देती है, मगर आकड़े बता रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में किसानों का इतना शोषण हो रहा है और किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
मंत्री ने दी सफाई
नेता प्रतिपक्ष की ओर से पेश किए गए आकड़ों की विश्वसनीयत पर संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने सवाल उठा दिया। मंत्री चौबे ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को सही आकड़ों की जानकारी नहीं है। उन्हें रमन राज के 15 सालों के किसान आत्महत्या के आकड़े पेश करना चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि नेता प्रतिपक्ष के आकड़े के सोर्स पर मुझे तरस आती है। बहरहाल धान का कटोरा कहे जाने वाले कृषि प्रधान राज्य छत्तीसगढ़ में किसान आत्महत्या के आकड़ों को लेकर राजनीति तो होगी ही। अब ऐसे में किसके आकड़े सही और किसके दावे यह तो वक्त तय करेगा। फिलहाल तो यह हैं कि किसान आत्महत्या के आकड़ों को लेकर प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है।