रांची। रांची में विश्व आदिवासी दिवस पर कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की ओर से प्रोजेक्ट भवन सचिवालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सांकेतिक रूप से किसानों के बीच KCC और पशुधन योजना से जुड़ी 734 करोड़ की परिसंपत्तियों का वितरण किया। साथ ही उन्होंने हजारीबाग बाजार समिति को उत्कृष्ट कार्य के लिए मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया। हजारीबाग बाजार समिति ने देश की 10 सर्वश्रेष्ठ मंडियों में 7वां स्थान हासिल किया है। इसके साथ ही सब्जी विक्रेता सहकारी संघ को 50 वैन सीएम ने भेंट स्वरूप दिया। इस दौरान 587 करोड़ का ऋण भी बांटा गया। इसके अलावा मिड डे मिल के तहत अब हफ्ते में 6 दिन बच्चों को अंडा देने की भी उन्होंने घोषणा की।
कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका और बोकारो के किसानों से वर्चुअल माध्यम से संवाद किया, और कृषि क्षेत्र में आ रही समस्या को लेकर किसानों की परेशानियां सुनी।
इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा की उनकी सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश में जुटी है। उन्होंने कहा की आने वाले 25 साल किसानों के लिए कैसे सुरक्षित हो इस पर फोकस करने की जरुरत है, साथ ही समय-समय पर जो योजनाएं दी जा रही है उसका आकलन भी किया जाएगा। उन्होंने कहा की किसान राज्य की जड़ है, और उनके मजबूत होने से राज्य मजबूत होगा। उन्होंने घोषणा की कि झारखंड के किसान को अब बिरसा किसान के तौर पर जाना जाएगा।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा की हमारा राज्य खनिज-संपदा से भरा है। देश का सबसे बेहतरीन पन्ना झारखंड में मिलता है। पिछले 100 सालों में यहां के लोगों की सोच कोयला, अभ्रक, लोहे के इर्द-गिर्द रही है। किसानों के हित में किसी ने नहीं सोचा। जबकि किसानों का खड़ा होना अत्यंत आवश्यक है।
इसके साथ ही हेमंत सोरेन ने राज्य को कुपोषण मुक्त करवाने की बात भी कही। उन्होंने कहा की सरकार ने हफ्ते के छह दिन मध्याह्न भोजन में बच्चों को अंडे देने का फैसला किया है।
झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के पहले से ही झारखंड के पूर्वजों ने अपनी आने वाली पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए संघर्ष किया था, सरकार उनके दिखाये रास्ते पर आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपारिक आय के साधनों में कमी आयी है। कमियों और खामियों की वजह से ग्रामीण किसान वनोपज जैसे आय के स्रोतों को धीरे-धीरे छोड़ते चले आए।
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि लाह और सिल्क का उत्पादन झारखंड राज्य में सबसे अधिक होता है परंतु इन संपदाओं का पूरा लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है। किसान भाई मेहनत करते हैं और फल दूसरे लोग खा रहे हैं। अब सरकार वनोपज के लिए व्यवस्था दुरुस्त करने में लगी है। किसानों को वनोपज के लिए बाजार और उचित मूल्य उपलब्ध हो सके इस निमित्त प्रतिबद्धता के साथ कार्य किए जा रहे हैं। जल्द ही बन उपज के विस्तार के लिए फेडरेशन बनाए जाएंगे।
खेत किसानों का बैंक और पशुपालन एटीएम
हेमन्त सोरेन ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के किसानों एवं खेतिहर मजदूरों के लिए खेत उनका बैंक और पशुधन एटीएम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की आबादी का बड़ा हिस्सा जो किसान के रूप में है वे अपने खेती-बारी से ही जीवन यापन करते हैं। पशुपालन तथा पशुधन उनके लिए आय का सरल साधन है। ग्रामीण लोगों के लिए कुछ वर्ष पहले तक पशुधन ही पूंजी हुआ करती थी परंतु धीरे-धीरे यह पूंजी कहां गायब हो गई यह समझ पाना बहुत ही मुश्किल है। एक समय ऐसा था जब लोग गांवों में झुंड के झुंड जानवर लेकर चराने के लिए जाया करते थे ऐसी तस्वीरें अब देखने को नहीं मिल रही हैं। पशुधन जैसे आय के स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने पशुपालन पर विशेष बल दिया है।