रांची। झारखंड की राजधानी रांची में विभिन्न आदिवासी सामाजिक संगठनों के अगुवा आज SC/ST थाना सदर पहुंचे। इन्होंने नामकुम अंचल अंतर्गत सतरंजी गांव के गरीब आदिवासी परिवार के साथ गैर आदिवासियों द्वारा हुए अत्याचार और जातिसूचक गाली गलौज एवं जान से मारने की धमकी के विरोध में एफआईआर दर्ज कराया तथा जल्द ही गिरफ्तारी की मांग की।
आदिवासियों पर अत्याचार अब बर्दाश्त नहीं
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव, पूर्व मंत्री देवकुमार धान एवं आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने संयुक्त रूप से थाना प्रभारी को कहा कि कोई भी गैर-आदिवासी हमारे आदिवासी समाज के किसी भी व्यक्ति या महिला को गरीब और लाचार समझ कर उनपर अत्याचार करेंगे तो समाज उसे कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। बिना कोर्ट नोटिस के सुनीता बिहां और उसके परिवार को कोई भी घर से बेघर नहीं कर सकता। पीड़ित आवेदिका गुड़िया बिहां, उसकी बहन सुनीता बिहां और विधवा मां एतवारी बिहां अकेले और मजबूर नहीं हैं।
जमीन से जुड़ा है मामला
आवेदिका सुनीता बिहां ने अपने आवेदन में लिखा है कि वह ग्राम शतरंजी, थाना- धुर्वा की रहने वाली है। पिछले कई महीनों से बिल्डर सह जमीन कारोबारी तुपुदाना निवासी संजय सिंह उनका पुत्र अंकित सिंह और मदन सिंह उन्हें (आवेदिका को) जबरन घर खाली करने की धमकी दे रहे हैं। नहीं करने पर जातिसूचक गालियां और जान से मारने की धमकी दी जा रही है। कहा जा रहा है कि अगर खाली नहीं किए तो तुम सभी को घर के साथ यहीं पर जिंदा गाड़ देंगे। उनके साथ धक्का मुक्की भी की गई। उक्त परिवार पिछले दो पिढ़ी से वहां रह रहे हैं। ये उनका तीसरा पीढ़ी है। उनके पूर्वजों के मसना और पेड़ पौधों को भी जे.सी.बी. मशीन से रौंद कर समतल कर दिया गया।
परिषद की रांची जिलाध्यक्ष कुंदरसी मुंडा ने कहा कि अगर उक्त आदिवासी परिवार को न्याय नहीं मिला तो उग्र आंदोलन होगा। क्योंकि जब से झारखंड निर्माण हुआ है। रांची में जमीन लूट की घटनाएं बढ़ गई हैं। बाहरी लोग फर्जी पेपर बनाकर हमारे लोगों को डरा धमका कर जमीन छीन रहे हैं। इस मौके पर पवन तिर्की, वासुदेव भगत, झारखंड क्षेत्रीय पड़हा समिति के अध्यक्ष अजीत उरांव, झरिया उरांव, दलित समाज के अगुवा रामटहल नायक, आदिवासी अधिकार मंच के प्रफुल्ल लिंडा ,मदिया उरांव एवं शतरंजी के कई ग्रामीण महिलाएं उपस्थित थीं।