राँची। पच्छिम बंगाल व झारखंड समेत कुछ राज्यों में कुड़मी समुदाय आदिवासी का दर्जा देने की मांग कर रहा है। कई राज्यों में इसके लिए वे लोग आंदोलन भी कर रहे हैं। झारखंड सरकार इस मुद्दे पर अभी तक मौन है, किसी भी मंत्री या मुख्यमंत्री ने इस पर कोई बयान नहीं दिया है। लेकिन, इसी बीच प्रभात खबर से वार्ता करते हुए हेमंत सोरेन सरकार में वित्त मंत्री और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने एक विस्फोटक बयान दिया है। उनके इस बयान से झारखंड की राजनीति में उबाल आ सकता है।
दरसल, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के चेयरमैन रहे रामेश्वर उरांव ने कहा है कि वर्ष 1929 में मुजफ्फरपुर में कुड़मियों की एक बैठक हुई थी, उसमें कई राज्यों से लोग आये थे। इस बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित हुआ था कि कुड़मी हिंदू हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि वे जनेऊ पहनेंगे और आदिवासी नहीं कहलायेंगे। लेकिन, अब कुड़मी समाज के लोग खुद को एसटी यानी अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।
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हालाँकि डॉ उरांव कहते हैं कि इनकी मांग कानूनी तौर पर उचित है या नहीं, इस पर गहन अध्ययन की जरूरत है। लेकिन निश्चित तौर पर, उनका यह बयान झारखंड की राजनीति को झकझोर कर रख देगा। (विडियो साभार: प्रभात खबर)