रांची। झारखंड से तस्करी कर बेंगलुरू ले जाई गईं 11 लड़कियों को बचा कर, उन्हें विमान द्वारा रांची लाया गया। साहिबगंज और पाकुड़ जिलों की निवासी ये सभी लडकियां नाबालिग हैं जो विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) पहाड़िया जनजाति से संबंधित हैं।
इस संबंध में जानकारी देते हुए झारखंड के श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने बताया- “मानव तस्करों द्वारा इन बच्चियों को बहला-फुसला कर ले जाया गया था। इस तरह के मामलों में हमारी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत काम करती है। इन बच्चियों की यथासंभव मदद एवं पुनर्वास के अलावा झारखंड सीआईडी को इनसे सारी जानकारी लेकर, मानव तस्करों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही करने के निर्देश दिये गए हैं।”
राज्य सरकार द्वारा इन लड़कियों के पुनर्वास की व्यवस्था की गई है, श्रम मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि फिलहाल उन्हें प्रेमाश्रय बालिका गृह रांची में रखा गया है। झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्थान की निदेशक-सह-मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने यहां इन लड़कियों से मुलाकात की और जल्द ही इन्हें इनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा।
ज्ञात हो कि मानव तस्करों द्वारा गरीब परिवारों के बच्चों को नौकरी के बहाने बड़े शहरों में बेचने के कई मामले सामने आ चुके हैं। इस सिलसिले में राज्य सरकार द्वारा गठित एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट बच्चों को छुड़ाने के लिए तस्करों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है।
इस तरह के मामलों में समन्वय के लिए कोरोना संकट काल के दौरान राज्य सरकार द्वारा श्रम मंत्रालय के तहत “झारखंड प्रवासी नियंत्रण कक्ष” बनाया गया था, जो देश-विदेश में बसे झारखंड के लोगों व विशेष कर मजदूरों की मदद करता है।