कल धनबाद के सेंट जेवियर्स स्कूल (तेतुलमारी, कतरास) की एक छात्रा के आत्महत्या की खबर पूरे सोशल मीडिया पर छाई रही। बताया जा रहा है कि स्कूल में एक टीचर द्वारा बिंदी लगाए जाने से रोके जाने एवं सार्वजनिक तौर पर थप्पड़ मारे जाने पर छात्रा इतनी असहज हुई कि उसने जान दे दिया। पुलिस को उसके यूनिफॉर्म से एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसकी जांच की जा रही है।
मंगलवार सुबह इस खबर के आते ही राज्य के कल्याण मंत्री चंपई सोरेन ने ट्विटर पर धनबाद पुलिस को मामले की जांच कर के, न्यायोचित कार्यवाही करने का निर्देश दिया। कुछ घंटों बाद पुलिस ने स्कूल के प्रिंसिपल राजकिशोर सिंह और आरोपी शिक्षिका सिंधु झा को गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद पुलिस ने ट्विटर पर गिरफ्तारी की सूचना दी।
महाशय, मामले को संज्ञान में लिया गया है। इस संदर्भ में मृत्तिका की माँ बंदना देवी के लिखित आवेदन के आधार पर तेतुलमारी थाना कांड संख्या – 33/23, दिनांक -10-07-2023, धारा -306/34 भाoदo वीo अंकित कर स्कूल के प्रधानाध्यापक R.k singh और शिक्षिका सिंधु मैडम को गिरफ्तार किया गया है।
— Dhanbad Police (@dhanbadpolice) July 11, 2023
कायदे से यह मामला उसी वक्त खत्म हो जाना चाहिए था लेकिन झारखंड में कोई मामला इतनी आसानी से कहां खत्म होता है। उसी शाम, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मामले को धार्मिक एंगल देते हुए ट्वीट किया – “पता नहीं ऐसे विद्यालयों को सनातन प्रतीकों से चिढ़ क्यों है?” उसके बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश समेत कई लोगों को इस मुद्दे पर राजनीति करने का अवसर मिल गया।
हेमंत राज में तुष्टिकरण की राजनीति की पराकाष्ठा है.
धनबाद के सेंट जेवियर्स स्कूल में बिंदी लगाकर स्कूल पहुँची छात्रा पर शिक्षिका ने एतराज जताते हुए थप्पड़ जड़ दिया, आहत छात्रा ने सुसाइड नोट लिखकर खुदकुशी कर ली.
सत्य सनातन संस्कृति के खिलाफ साजिश रचने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए pic.twitter.com/MNMgoTp0JM— Deepak Prakash (@dprakashbjp) July 11, 2023
एक बार जब मुद्दा उछला तो राष्ट्रीय स्तर पर दीपक चौरसिया सरीखे पत्रकारों ने भी इसे हाथों-हाथ लेकर, इसके बहाने मिशनरी स्कूलों पर हमला बोला। कई अन्य लोगों के लिए भी यह एक “मौका” था, ईसाइयों द्वारा चलाए जाने वाले शैक्षणिक संस्थानों को घेरने का। तत्पश्चात, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने इस मामले का संज्ञान लिया और वे जांच के लिए अपनी टीम भेजेंगे।
इसी मामले पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने ट्वीट किया- “विद्या के मंदिरों में खास एजेंडे के तहत धार्मिक- सांस्कृतिक विभेद का वातावरण बनानेवालों के विरुद्ध राज्य सरकार सख्त कार्रवाई करे।”
धनबाद के सेंट जेवियर्स स्कूल में 10वीं की छात्रा बिंदी लगाकर स्कूल पहुंची तो शिक्षिका ने आपत्ति जतायी,थप्पड़ जड़ दिया।
आहत छात्रा ने खुदकुशी कर ली।
विद्या के मंदिरों में खास एजेंडे के तहत धार्मिक- सांस्कृतिक विभेद का वातावरण बनानेवालों के विरुद्ध राज्य सरकार सख्त कार्रवाई करे। pic.twitter.com/jP4VnPxIU6— Annapurna Devi (@Annapurna4BJP) July 12, 2023
सिर्फ स्कूल का नाम पढ़ कर एक खास समुदाय के शैक्षणिक संस्थाओं को निशाना बनाते वक्त शायद वे भूल गईं कि वे शिक्षा राज्य मंत्री हैं, और अगर वे चाहतीं तो स्कूल के बारे में सारी जानकारी उन्हें मिनटों में मिल जाती, और वे उसके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए भी अधिकृत थीं, लेकिन अफसोस…
ईसाई मिशनरी से संबंधित नहीं है यह स्कूल !
आदिवासी डॉट कॉम के Fact Check के दौरान यह बात खुल कर सामने आई कि यह स्कूल ना तो किसी ईसाई मिशनरी से संबंधित है और ना ही इसे सीबीएसई या किसी अन्य बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त है। हमने सीबीएसई की वेबसाइट पर स्कूल को खोजा, लेकिन उसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।
धनबाद के जिला शिक्षा अधीक्षक भूतनाथ रजवार ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इस स्कूल को किसी भी बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है। जिला प्रशासन मामले की जांच कर रहा है।
धनबाद में क्रिश्चियन मिशनरी द्वारा संचालित डी नोबिली स्कूल के निदेशक फादर माइकल फर्नांडिस ने आदिवासी डॉट कॉम को बताया कि इस स्कूल का किसी भी ईसाई मिशनरी से कोई लेना – देना नहीं है। इसे किसी अन्य व्यक्ति द्वारा चलाया जा रहा है, जो हमारे समाज से संबंधित नहीं है। आज ही हम लोग इस से संबंधित एक प्रेस रिलीज भी जारी करने जा रहे हैं।
इस संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए हमने धनबाद के वरिष्ठ पत्रकार आशीष सिंह से संपर्क किया। आशीष ने हमें बताया कि – “यह एक नॉन एफिलिएटेड स्कूल है। इसके प्राचार्य राजकिशोर सिंह ही स्कूल के मालिक हैं। यह मिशनरी स्कूल नहीं है, बल्कि निजी स्कूल है। इस स्कूल में सिर्फ सीबीएसई माध्यम से पढ़ाई कराई जाती है, लेकिन इसे सीबीएसई से मान्यता भी प्राप्त नहीं है।”
अब सवाल यह उठता है कि जब इस स्कूल का मालिक एक हिंदू व्यक्ति है और आरोपी टीचर भी हिंदू ही है, तो सिर्फ स्कूल का नाम पढ़ कर समाज में एक वर्ग विशेष के प्रति नफरत फैलाने वाले इन लोगों का एजेंडा क्या है? आखिर एक छात्रा की मौत को धार्मिक एंगल देने से किसी को क्या फायदा हो सकता है? क्या झारखंड पुलिस नफरत के इन कारोबारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही करेगी?