कोलकाता। पश्चिम बंगाल में एक 12 वर्षीय आदिवासी लड़के को “खाना चोरी करने” के संदेह में पेड़ से बाँधकर पीट-पीटकर मार डाला गया। पश्चिमी मेदिनीपुर जिले के बोरोचारा गांव का रहने वाला यह बच्चा (सुभा नायेक) “आदिम जनजाति समूह” के रूप में वर्गीकृत लोढ़ा शबर समुदाय का सदस्य था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह बच्चा एक फूड स्टॉल के सामने अपनी झोपड़ी के पास बैठा था। उसी दौरान स्टॉल का मालिक कहीं गया हुआ था। जब वह वापस लौटा तो उसने पाया कि खाने-पीने का कुछ सामान गायब है। उसे बच्चे पर संदेह हुआ और कई लोगों के साथ वह नायेक की झोपड़ी में घुस कर तलाशी लेने लगा, लेकिन कुछ नहीं मिलने पर, वे लोग वापस लौट गये।
हालांकि, शाम में टीएमसी पंचायत सदस्य मनोरंजन मल के घटनास्थल पर आने के बाद स्थिति बदल गई। टीएमसी नेता ने बच्चे पर चोरी का आरोप लगाया। उसे पकड़ने के बाद, अपने साथियों के साथ, वो कथित तौर पर उसे एक सैलून में ले गया, उसका सिर मुंडवा दिया और उसे एक पेड़ से बांधकर रात भर प्रताड़ित किया। गुरुवार सुबह उसका निर्जीव शव गांव की सड़क पर मिला।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि- “मनोरंजन मल और उसके गुर्गे उस बच्चे को एक फुटबॉल की तरह किक कर रहे थे। वह भूखा था, बार-बार पानी मांग रहा था। लेकिन वे कह रहे थे कि लोढ़ा चोर है, और आज उसको सबक सिखाएंगे।”
पीड़ित बच्चे के पिता एक प्रवासी मजदूर हैं, जो दूसरे राज्य में काम करते हैं। यह बच्चा, अपनी मां के साथ, प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत निर्मित 9 फुट x 11 फुट के कमरे में रहता था। यह भी आरोप लगाया गया है कि पंचायत सदस्य “एक क्लब” के लिए उस कमरे पर कब्जा करना चाहता था।
स्थानीय लोगों के अनुसार, बच्चे को “अपराध कबूल करने के लिए मजबूर किया गया” और उसकी मां को कथित तौर पर आवास योजना का कमरा पंचायत सदस्य को हस्तांतरित करने के लिए कहा गया था।
घटना की खबर फैलने के बाद, सैकड़ों स्थानीय लोगों ने स्टेट हाईवे को जाम कर दिया और अपराधियों के लिए कड़ी सजा की मांग की। पीड़ित के भाई परमेश्वर नायेक ने सबंग थाने में सुभा नायेक की पीट-पीट कर हत्या किये जाने की शिकायत दर्ज करवाया है। लोगों का आक्रोश बढ़ने पर पुलिस ने मनोरंजन मल समेत सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
पश्चिम बंग आदिवासी अधिकार रक्षा मंच ने इस “क्रूर लिंचिंग” की निंदा की है तथा दोषियों के लिए कड़ी सजा की मांग की है।
इस घटना ने, फिर एक बार, राज्य में हाशिये पर पड़े लोढ़ा शबर समुदाय की असुरक्षा को उजागर कर दिया है। लोढ़ा मुख्य रूप से जंगली जड़ें, कंद और खाने योग्य पत्तियां इकट्ठा करने तथा जीविका के लिए शिकार पर निर्भर हैं। उन्हें पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर और झाड़ग्राम जिलों में आर्थिक रूप से वंचित जनजाति माना जाता है।