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फ्लैट देने के नाम पर सैकड़ों करोड़ की धोखाधड़ी !

वह साल 2014 की एक सुबह थी, जब दीपांजन ने अखबार के पहले पन्ने पर “सिमोको इन्फ्रास्ट्रक्चर” द्वारा बनाए जा रहे “संहिता” नामक एक नए हाउसिंग प्रोजेक्ट का विज्ञापन देखा। विज्ञापन में प्रसिद्ध गायक उषा उत्थुप की बड़ी सी तस्वीर थी और आसपास के इलाके के हिसाब से फ्लैट की कीमत भी बढ़िया लग रही थी।

एक पल के लिए उन्होंने सोचा कि कहीं एक नए प्रोजेक्ट में निवेश करना जोखिम भरा तो नहीं है? लेकिन उसके दोस्तों ने बताया कि यह सिमोको ग्रुप का प्रोजेक्ट है, जो बिजली तथा टेलीकॉम से जुड़े प्रोडक्ट के क्षेत्र में एक जाना- माना नाम है। पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, असम, त्रिपुरा एवं आसपास के कई राज्यों में यह कंपनी स्ट्रीट लाइट एवं वायरलेस सेट जैसे उपकरण सरकारी विभागों को सप्लाई करती है।

अपने परिजनों से बात करने के बाद ने उन्होंने इस प्रोजेक्ट में एक फ्लैट बुक किया, जिसे अब वे अपने जीवन का “सबसे गलत” फैसला बताते हैं। शुरुआत में काम तेजी से आगे बढ़ा, और 2-3 वर्षों में ही प्रोजेक्ट साइट पर कई बड़े-बड़े स्ट्रक्चर खड़े हो गए। लेकिन 2016 के बाद धीरे -धीरे प्रोजेक्ट में काम रुक सा गया। वो लगातार बिल्डर से इसका कारण पूछते रहे, लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।

इसी प्रोजेक्ट के एक अन्य ग्राहक दीपेंदु बताते हैं कि कंपनी की बैलेंस शीट देखने पर ऐसा लगता है कि बिल्डर ने हम से पैसे लेकर, उसे अपने ग्रुप की अन्य कंपनियों में डायवर्ट कर दिया, जिस से उसके पास प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए राशि ही नहीं बची। अब हालात यह है कि पिछले साल (2022) दिसम्बर से प्रोजेक्ट में एक भी लेबर काम नहीं कर रहा है, और कोलकाता में अपना घर पाने का हमारा सपना, अब बिखरने लगा है।

कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं कई ग्राहक
कई झूठे आश्वासनों एवं अंतहीन फर्जी समय सीमा के खत्म होने के बाद कुछ ग्राहकों ने कंज्यूमर कोर्ट का रुख किया। लेकिन वहां पर भी, उन्हें कोई खास मदद नहीं मिली। कई मामलों में सिमोको ने कोर्ट नोटिस का जवाब तक नहीं दिया और ऐसे कई मामले हुए, जिसमें बुकिंग कैंसल होने के बाद भी, ग्राहकों के पैसे वापस नहीं मिले। ऐसा लगता है मानो उन्हें राजनैतिक तथा प्रशासनिक स्तर पर संरक्षण मिल रहा है।

कहां गए पैसे?
सिमोको की बैलेंस शीट के अनुसार 31 मार्च 2022 को उनके पास मात्र 17 लाख रूपए थे। यह आश्चर्यचकित करने वाला आंकड़ा है, क्योंकि उन्होंने हजारों फ्लैट बेचे हैं और अधिकतर ग्राहकों से उन्होंने लगभग 90% रकम ले लिया है। बैलेंस शीट को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि उन्होंने 5.90 करोड़ रुपए अपनी ही ग्रुप की एक दूसरी कंपनी के शेयर में लगा दिए, जबकि 133.91 करोड़ रुपए किसी अन्य को शॉर्ट टर्म लोन के तौर पर दिए गए हैं, जिसके एवज में ना कोई ब्याज लिया जा रहा है, ना ही पिछले साल भर में उसने एक भी रुपए लौटे हैं।

क्या है यह मामला ?
साल 2014 में, “सिमोको इंफ्रास्ट्रक्चर” नाम के एक डेवलपर द्वारा प्रिंट मीडिया में एक विज्ञापन दिया गया था कि वे डब्ल्यूबीएचआईडीसीओ क्षेत्र से कुछ किलोमीटर दूर, सतुली गांव, थाना- काशीपुर, 24 परगना में एक ड्रीम हाउसिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण कर रहे हैं, जिसमें 3बीएचके, 2बीएचके और 1बीएचके श्रेणी के अपार्टमेंट शामिल हैं। विज्ञापन का चेहरा मशहूर गायिका उषा उत्थुप थीं। प्रस्तावित आवास परिसर को “संहिता” नाम दिया गया था।

प्रारंभिक योजना के अनुसार संहिता हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में 2बीएचके फ्लैट, 3बीएचके फ्लैट वाली 22 इमारतें और 1बीएचके अपार्टमेंट के लिए 22 इमारतें बनाने की योजना थी। ग्राहकों के साथ किए गए समझौते के अनुसार, संहिता ने आवंटन की तारीख से 36 महीने के भीतर फ्लैटों के निर्माण की परिकल्पना की थी। सिमोको द्वारा खरीदारों को इकाइयों की डिलीवरी के लिए 9 महीने की छूट अवधि थी, ऐसा न करने पर सिमोको मासिक आधार पर खरीदारों को मुआवजा देने की बात थी।

विज्ञापन को मिले जबरदस्त रिस्पॉन्स के बाद फ्लैट्स का निर्माण जोर-शोर से शुरू हो गया। लेकिन 2016 के मध्य से निर्माण कार्य धीमा हो गया। इस बीच, हजारों लोगों ने इस परियोजना में निवेश किया है। साल 2019-20 में संहिता ने कुछ 3बीएचके और 1बीएचके अपार्टमेंट हैंड ओवर भी किए, लेकिन 2बीएचके फ्लैटों का निर्माण पूरी तरह से रुका हुआ है। ग्राहकों के अनुसार, उनमें से ज्यादातर ने अपने फ्लैट की कुल कीमत का लगभग 90% भुगतान कर दिया है।

जब कभी भी ग्राहक सिमोको के अधिकारियों से कार्य की प्रगति के बारे में पूछते हैं, तब उन्हें जल्द ही फ्लैट मिलने का झूठा वादा किया जाता है। आखिरी बार, 3 दिसंबर 2022 को, सेक्टर फाइव थाने में, पुलिस अधिकारियों के समक्ष सिमोको प्रबंधन ने मार्च 2023 तक दो ब्लॉक (और उसके बाद अन्य फ्लैट्स) को हैंड ओवर करने का लिखित आश्वासन दिया था, लेकिन उसके दो हफ्तों बाद काम पूरी तरह से ठप पड़ गया। इससे पता चलता है कि वो लोग झूठ बोल कर सिर्फ अतिरिक्त समय चाह रहे थे।

इस प्रोजेक्ट में लगभग 30-40% निवेशक वृद्ध और सेवानिवृत्त व्यक्ति हैं, जिन्होंने फ्लैट को खरीदने के लिए अपनी मेहनत की कमाई और पेंशन का निवेश किया था। कई ग्राहक सालों से किराए के घरों में रहने के बावजूद, अपने मकान की उम्मीद में, हर महीने ईएमआई भर रहे हैं। अपनी प्रशासनिक पहुंच का फायदा उठाते हुए सिमोको इंफ्रास्ट्रक्चर अपने खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट गए ग्राहकों को जवाब तक नहीं देता।

सिमोको संहिता की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, कंपनी ने पहली लॉटरी (जुलाई 2014) में 2450 ग्राहकों (1BHK- 200, 2BHK- 1050 और 3BHK- 1200) को फ्लैट आवंटित किए, फिर दूसरे चरण (मई 2016) में उन्होंने 839 ग्राहकों (1BHK- 300, 2BHK-206, 3BHK-333) को फ्लैट आवंटित किए। उसके बाद फिर उन्होंने सैकड़ों फ्लैट और स्टूडियो अपार्टमेंट आवंटित किए हैं, जिनमे से अधिकतर बिल्डिंगों का कोई अस्तित्व नहीं है।

हमें कई ऐसे भी ग्राहक मिले, जो वहीं संहिता के कुछ डिलीवर हुए हिस्सों में, अथवा आसपास, कई वर्षों से इस उम्मीद में किराये पर रह रहे हैं, कि शायद एक दिन उन्हें भी अपना आशियाना मिलेगा। जिन चंद लोगों को फ्लैट मिला भी है, वे उसकी कंस्ट्रक्शन क्वालिटी से नाखुश हैं। कुछ दिनों पहले, सिक्योरिटी एजेंसी ने भी वहां से अपने गार्ड हटा लिए।

अपना पूरा पैसा डूबते देख कर, कई ग्राहकों ने एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार 30% गंवा कर, बाकी पैसे वापस लेने का विकल्प चुना, लेकिन उनकी बुकिंग कैंसल होने के बावजूद, उन्हें पैसे वापस नहीं मिले। हाल में, एक बैंक ने, अपने ऋण की वसूली के लिए, सिमोको के ऑफिस के एक हिस्से को नीलाम करने के लिए अखबार में इश्तेहार भी जारी किया है।

चलते-चलते हमें एक बुजुर्ग सुरेश राय मिले, जिन्होंने इस फ्लैट के साथ, कोलकाता में अपना एक घर होने का सपना देखा था। बिल्डर के रवैये से निराश होकर, अब उनका यह सपना टूटता नजर आ रहा है। वे कहते हैं- “इस बिल्डर ने हमारे साथ फ्रॉड किया है। यह एक बहुत बड़ा घोटाला है, जिस में हजारों ग्राहकों की जमा-पूंजी डूबने की कगार पर है, लेकिन सरकार बेपरवाह है। ऐसे लोगों पर कठोर कानूनी कार्यवाई करने की जरूरत है।”

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