बालाघाट (छत्तीसगढ़)। कान्हा नेशनल पार्क में पर्यटन विकास की संभावना तलाशने के साथ ही पर्यटकों को लुभाने तरह-तरह के जतन किए जा रहे हैं। कान्हा के मुक्की गेट से पार्क की सैर करने आने वाले पर्यटकों को बैगा संस्कृति और कला से रूबरू कराने के लिए बैगा हाट का निर्माण किया गया है। यहां पर्यटकों की आवाजाही ने इसकी लोकप्रियता बढ़ाई है, जिसके चलते यहां विकास की संभावना को तलाशते हुए प्रशासन बैगा-बैगिन (महिला-पुरूष) की प्रतिमा एक प्रतीक के रूप में लगाने की तैयारी कर रहा है।
वहीं इसे छग की संस्कृति से भी पिरोने की कवायद की जा रही हैं। इन बैगा हाट के बीच बस्तर की कलाकृतियों के साथ बस्तर हाट की भी झलक दिखेगी। जो यहां आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करेगी,इसमें मैटल से बनी मूर्ति और अन्य बस्तर के अंचल से जुड़ी खाद्य सामग्री भी मिलेंगी। बैगा हाट में बस्तर हाट का भी स्वरूप दिखेगा,जो यहां आने वाले पर्यटकों को बस्तर की संस्कृति से रूबरू कराएगा।
ऐसे बढ़ेगा आकर्षण
– बैगा हाट में बस्तर में कारीगरों द्वारा मैटल की आदिवासी संस्कृति से जुड़ी कलाकृतियां रखी जाएंगी।
– मैटल से बनी मूर्तियां और अन्य साज-सज्जा के सामान उसमें होंगे।
– यहां आने वाले पर्यटकों के मनोरंजन के साधन भी जुटाए जा रहे हैं।
– मैटल से प्रशिक्षित कलाकर आकर्षक वेश-भूषा में नजर आएंगे।
– बैगा हाट में आकर्षण बढ़ाने के साथ रोजगार बढ़ाने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है।
ये होगा खास आकर्षण
बैगा हाट में छत्तीसगढ़ की संस्कृति को प्रदर्शित किया जाएगा। इसमें बस्तर की काष्ठ कला,बांस कला,मृदा कला और धातु कला यहां के कला कौशल को मुख्य रुप है। काष्ठ कला में लकड़ी के फर्नीचर में बस्तर की संस्कृति को उकेरा जाता है। त्योहारों,जीव,जंतुओं ,देवी देवताओं की मूर्तियां और साज-सज्जा की कलाकृतियां बनाई जाती हैं। अब ये बैगा हाट में भी नजर आएंगी।
पर्यटन विकास के मकसद से बैगा हाट तैयार किया गया है। यहां बैगाओं की संस्कृति से जुड़ी सामग्री एक ही परिसर में उपलब्ध कराने के साथ ही उनकी कला के प्रदर्शन के ओपन थिएयटर भी बनाया गया है। जिसमें कलाकार अपनी कला प्रदर्शन कर पर्यटकों यहां कि संस्कृति से रूबरू कराते हैं। अब इसमें बैगा हाट का कल्चर भी लाया जा रहा है। जो मध्य प्रदेश के कान्हा में आने वाले पर्यटक को छग की संस्कृति से भी रूबरू कराएगा।