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पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाले योद्धा को 52 वर्षों बाद ‘न्याय’ मिला

रांची। वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले 80 साल के नायक पोदना बलमुचू जब 52 साल बाद तत्कालीन सरकार द्वारा किया गया वादा लेकर पहुंचे, तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सिर झुकाकर, उन्हें “जोहार” किया।

मुख्यमंत्री ने इस योद्धा की व्यथा सुनने के बाद तत्काल चाईबासा उपायुक्त को उन्हें पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया। जैसे ही मुख्यमंत्री ने यह बात कही, कमजोर हो चुके शरीर और कांपते हाथों में मांग-पत्र पकड़े नायक पोदना बलमुचू की आंखों से आंसू छलक पड़े। वह अपने परिजनों के साथ चाईबासा से 140 किलोमीटर पैदल चलकर अपनी व्यथा सुनाने रांची पहुंचे थे। मालूम हो कि युद्ध के बाद सरकार ने खेती के लिए पांच एकड़ जमीन देने का वायदा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ था।

4 दिन तक पैदल चलकर रांची पहुंचे थे बालमुचू
नायक पोदना बलमुचू अपने हक और अधिकार को लेकर बेटी व परिजनों संग चाईबासा से 4 दिन तक लगातार पैदल चल मुख्यमंत्री से मिलने रांची पहुंचे थे। मुख्यमंत्री से मिल सरकार द्वारा उस समय दी गई 5 एकड़ जमीन और अन्य सुविधाओं की मांग को रखा। नायक की परेशानी जानने के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रधान सचिव विनय चौबे ने तत्काल फोन कर प. सिंहभूम के उपायुक्त अनन्य मित्तल को 10 दिनों के अंदर 5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने के साथ-साथ सरकार द्वारा दी जाने वाली पेंशन तथा अन्य सुविधाएं भी देने का निर्देश दिया। इस दौरान कांग्रेस नेता सुनित शर्मा, विवेक विशाल, रंजन बोयपाई, अनूप करण व अन्य मौजूद थे।

5 एकड़ भूमि के साथ पेंशन देने का दिया निर्देश
इससे पहले सैनिक परिषद, सिंहभूम ने तत्कालीन उपायुक्त को पांच एकड़ भूमि, सिंचाई के लिए कुआं तथा पत्नी सूमी बलमुचू को नौकरी देने को कहा था, पर आज तक कोई पहल नहीं की गयी। तब नायक ने पांच दिनों तक पत्नी व परिवार के साथ उपायुक्त कार्यालय पर धरना दिया था और सोमवार को मुख्यमंत्री से मिले।

पूर्वी स्टार मेडल से सम्मानित हो चुके हैं बालमुचू
1965 में समर सेवा स्टार मेडल तथा 1971 में पूर्वी स्टार मेडल से सम्मानित हो चुके नायक बलमुचू को पाकिस्तान के साथ युद्ध में दायें पैर में गोली लगी थी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गये थे। पुणे में चार माह इलाज के बाद अपने घर लौट गये। तब सरकार द्वारा उन्हें पांच एकड़ जमीन खेती के लिए, पत्नी को नौकरी तथा सिंचाई का कुआं देने का आश्वासन दिया गया था।

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