जामुड़िया (बर्द्धमान/ पश्चिम बंगाल)। कोई एक साथ बैठकर पढ़ रहा है, कोई लिख रहा है, कोई चित्र बना रहा है, लेकिन किसी के पास किताब नहीं है, कोई नोटबुक-पेन नहीं है या खुद की स्लेट भी नहीं है, तो वे कहां लिख रहे हैं। ऐसा सवाल आपके मन में आ सकता है। यह सभी अपनी कच्ची मिट्टी की दीवारों पर पढ़ रहे हैं।
क्षेत्र में रोड मास्टर के नाम से मशहूर तिलका मांझी आदिवासी प्राइमरी स्कूल के शिक्षक दीप नारायण नायक ने ऐसा असंभव काम पूरा किया है। जिन बच्चों के पास वर्तमान में पेन-कापी खरीदने का माद्दा नहीं है, लेकिन उनके पास शिक्षा का अधिकार है। शिक्षक ने उनके घर की दीवारों को रंग दिया और उन्हें शिक्षण सहायक सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया, कई ब्लैक बोर्ड बनाए। दीवारों पर उन्होंने वर्णमाला से लेकर कोरोना में जीवित रहने तक के टीकों के महत्व पर प्रकाश डाला। इससे आदिवासी समाज के विद्यार्थियों को दरवाजे पर शिक्षा मिल रही है, वहीं दूसरी ओर आदिवासियों में शिक्षा के प्रति जागरूकता भी आ रही है। इसके अलावा उन्होंने आदिवासी समुदाय के बीच सभी अंधविश्वास को मिटाने के लिए विज्ञान शिक्षा का प्रसार करने के लिए विशेष कदम उठाए हैं।
दीप नारायण ने शिक्षक दिवस के अवसर पर छात्रों को डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन और आदर्शों से रूबरू कराया। शिक्षक दीप नारायण ने बताया कि यहां अधिकांश छात्र पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी हैं, उनके माता-पिता में से किसी ने भी शिक्षा प्राप्त नहीं की है। इसलिए उन्होंने शून्य से शिक्षा का प्रसार करना शुरू किया है।
जामुड़िया विधायक हरेराम सिंह ने शिक्षक दीप नारायण की पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि हम सभी आदिवासी छात्रों को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह से मास्टर जी अंधविश्वास को मिटाने और शिक्षा का प्रसार करने के लिए काम कर रहे हैं, वह काबिले तारीफ है। सातवीं कक्षा की छात्रा पायल मुर्मू, तीसरी कक्षा की मंदिरा ओरंग दुआरे शिक्षा प्राप्त करने से बहुत खुश हैं।