उदयपुर। राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा की मांगे 5 घंटे के धरने के बाद आखिरकार सरकार और प्रशासन ने मान ली। उदयपुर के आदिवासी इलाके में महिलाओं की ट्रैफिकिंग को रोकने के लिए किरोड़ीलाल मीणा सोमवार शाम लगभग 4 बजे उदयपुर कलेक्ट्रेट में धरने पर बैठ गए थे। उनके साथ कुछ आदिवासी महिलाएं भी थी जिनके साथ ज्यादती हुई थी। इन महिलाओं के साथ मीणा लगभग 9.30 बजे तक कलेक्ट्रेट में ही रहे। इस दौरान महिलाएं और उनके बच्चे कलेक्ट्रेट में ही बिस्तर ले आए। कलेक्टर के दफ्तर के बाहर गार्डन में ही इन्होंने डेरा डाल लिया। इस बीच पुलिस से एक दो बार मीणा समर्थकों की बहस भी हुई। मगर आखिरकार प्रशासन को मीणा की बात माननी पड़ी।
मीणा ने कहा कि थानागजी की ही तर्ज पर 5 लाख रुपए और एक-एक मकान दिया जाएगा। नौकरी इसलिए नहीं क्योंकि कोई भी पढ़ी-लिखी नहीं है। इनके पालन-पोषण की दृष्टि से बड़े पैकेज की मांग की है। आर्थिक सहायता और मकान की घोषणा कर दी गई है। पूरे जिले में 351 प्रकरण जानकारी में आए हैं। इन 8 में से 4 में एफआईआर दर्ज हुई है। जिनकी एफआईआर दर्ज हुई है उन्हें ये सहायता दी गई है। अब 351 में से जानकारी लेंगे और उसके बाद इनपर एक्सरसाइज की जाएगी। बाकी के मामले में विस्तृत जांच की जाएगी और उसके बाद वही पैकेज दिया जाएगा।
झाड़ोल-धरियावद पीड़िता को भी इसी पैकेज की मांग
मीणा ने इसी तरह पिछले दिनों सामने आए झाड़ोल और धरियावद में रेप के मामले में भी सरकार से समान पैकेज की मांग की है। साथ ही थानागजी की तर्ज पर अगर पीड़िता पढ़ी-लिखी हो तो नौकरी भी देनी चाहिए।
इससे पहले किरोड़ी लाल मीणा ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि आदिवासी इलाके में जबरदस्त गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी है। राजस्थान के आदिवासी इलाके के युवक-युवतियां मजदूरी करने के लिए गुजरात जाते हैं। यहां से उनके साथ दरिंदगी और अत्याचार का सिलसिला शुरू हो जाता है। आज से 2 महीने पहले मुख्यमंत्री की जानकारी में डाला था कि 1000-1200 युवतियां दलालों के जाल में फंस गई है और उनका निकल पाना मुश्किल है। पुलिस को सक्रिय करें, एंटी ह्युमन ट्रैफिकिंग यूनिट को एक्टिव करें, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ।