रायपुर। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी विद्यार्थियों को पूरे देश में एक जैसी शिक्षा मिले, इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहल की जा रही है। क्योंकि प्रोफेशनल एजुकेशन के क्षेत्र में मेडिकल और टेक्निकल एजुकेशन की प्रवेश परीक्षाएं अब राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में जनजातियों के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में निरस्त हुए वन अधिकार मान्यता पत्रों की पुनर्समीक्षा की जा रही है। मुंडा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ शनिवार को उनके रायपुर निवास कार्यालय में आयोजित बैठक में राज्य के आदिवासी अंचलों में संचालित विभिन्न् योजनाओं की समीक्षा की। बैठक में मुंडा ने कहा कि एक ओर कोविड-19 का डर था, तो दूसरी ओर यह चुनौती भी थी कि वनोपज संग्राहकों के बड़े वर्ग को वनोपजों के संग्रहण से मिलने वाला रोजगार छिन न जाए। ऐसे में छत्तीसगढ़ ने वनोपजों का संग्रहण करने की पहल की और लोगों को रोजगार दिलाया। इस दौरान बघेल ने राज्य को केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ दिलाने का आग्रह किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ में वनोपजों के संग्रहण, वैल्यूएडिशन के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में संचालित योजानाओं की विस्तार से जानकारी दी।
केंद्रीय मंत्री ने बैठक में कहा कि राज्य सरकार और ट्राईफेड के समन्वय से पिछले दो वर्षों में छत्तीसगढ़ में वनोपजों के संग्रहण और वैल्युएडिशन में उत्साहवर्धक परिणाम मिले हैं। इस क्षेत्र में छत्तीसगढ़ को अवार्ड दिया गया है। इस उपलब्धि के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल, लघु वनोपजों संग्राहकों और अधिकारियों को बधाई दी। मुंडा ने कहा कि वन क्षेत्र के लोगों को आय का जरिया और रोजगार दिलाने की गतिविधियां लगातार चलती रहें।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार ने यह प्रयास किया कि वनवासियों की आय में कमी न हो। यह कार्य लगातार चलता रहे। तेंदूपत्ता संग्रहण का काम भी न रूके। छत्तीसगढ़ सात राज्यों से घिरा प्रदेश है, ऐसे में यहां कोरोना संक्रमण को रोकना काफी चुनौती पूर्ण था। इसके बावजूद भी जब पूर्ण लाकडाउन था, तब राज्य सरकार ने स्व-सहायता समूहों के माध्यम से संग्रहण का कार्य संचालित किया।वनोपजों का स्व-सहायता समूहों को अच्छी कीमत भी मिली। समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले लघु वनोपज की संख्या सात से बढ़ाकर 52 कर दी गई है।
बघेल ने प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कार्यों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वर्षों से बंद 92 स्कूलों को फिर से शुरू किया गया। आदिवासी अंचलों में अब डाक्टरों की कमी नहीं है। मलेरिया के प्रकरणों में 35 प्रतिशत और कुपोषण के स्तर में 33 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने बताया कि गरीब बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा के लिए 172 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रारंभ किए गए है। आदिवासी विकासखंडों में एक-एक स्कूल प्रांरभ किए गए हैं।