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गढ़वा की वह विवादित सड़क… आखिर कहाँ फँसा है पेंच?

गढ़वा। पिछले कई महीनों से गढ़वा जिले के कांडी प्रखंड स्थित रपुरा गाँव का मामला सोशल मीडिया पर जोर-शोर से चल रहा है। कुछ लोग इसके लिए राज्य सरकार से, तो कुछ केंद्र सरकार से यह कहते हुये गुहार लगा रहे हैं कि ऊँची जाति वाले लोग, उनके मानवाधिकारों का हनन करते हुए, उन्हें रास्ता नहीं दे रहे हैं। इस विवाद में राजनैतिक रोटियाँ सेंकने के लिए कई स्थानीय नेता भी कूद गये, लेकिन वे कुछ खास कर नहीं पाये।

आखिर उस रास्ते में ऐसा क्या है, कि कई विधायकों, और झारखंड सरकार के एक मंत्री द्वारा संज्ञान लिए जाने के बावजूद, जिला प्रशासन उसका हल नहीं निकाल पा रहा है? हमने इस मामले को समझने के लिए कई ग्रामीणों व सरकारी अधिकारियों से बात की, और जो तथ्य निकल कर आया, वह चौंकाने वाला है।

दरअसल इस गाँव में जो प्रजापति समाज का नवडीहवा टोला है, वहाँ आने-जाने के दो रास्ते हैं, एक रास्ता किसी अन्य व्यक्ति (संतोष कुमार सिंह) की निजी जमीन से होकर जाता है, जिसमें पहले उसने कुछ रास्ता छोड़ा हुआ था। लेकिन कुछ विवाद के बाद, उसने अपनी जमीन की घेराबंदी कर दी। सोशल मीडिया पर आपको जितनी भी तस्वीरें मिलेंगीं, वह इसी रास्ते की हैं।

प्रजापति समाज के लोगों का यह कहना है कि कई दशकों से वे लोग यह रास्ता इस्तेमाल कर रहे थे, इसलिए इस पर उनका अधिकार है, लेकिन सरकारी सूत्रों के अनुसार, इसके कागजात प्रतिवादी के पक्ष में हैं।

इस रास्ते वाली जमीन का एक बड़ा हिस्सा स्व. सरजू प्रजापति के परिवार का है, जो उसी प्रजापति समाज से हैं, जिसने रास्ते के लिए अभियान चलाया हुआ है। लेकिन उनके परिवार से संबंधित 3-4 घर के लोग रास्ता छोड़ने तो दूर, मापी करवाने के लिए भी तैयार नहीं है। आप स्वयं सोच कर देखिए, कि क्या इस परिस्थिति में प्रशासन किसी की निजी जमीन से रास्ता निकाल कर दे सकता है? इसका जबाब है नहीं, तो इस हालात में प्रशासन के पास दूसरा रास्ता तलाशने के सिवा कोई विकल्प नहीं है।

इस मामले में जातिवाद का आरोप लगा रहे प्रजापति समाज के लोग इस बात पर खामोश हो जाते हैं कि आखिर सरजू प्रजापति के परिवार वाले आपको रास्ता क्यों नहीं दे रहे हैं? जबकि वे आपके समाज के हैं, और कई परिवारों से उनका करीबी रिश्ता है। प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार जमीन-जायदाद के मामलों में, कोई अपनी एक इंच भी जमीन नहीं छोड़ना चाहता, जिसकी वजह से मामला उलझता चला जाता है।

अब बात करते हैं दूसरे वैकल्पिक रास्ते की, जिसमें कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। अभी 5 जुलाई को स्थानीय एसडीओ, सीओ और कई अन्य अधिकारी वहाँ पहुँचे थे, और अधिकारियों के अनुसार, इस दूसरे रास्ते पर बहुत जल्द अतिक्रमण हटवाने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी। एक बार यह अतिक्रमण हट जाये, तो टोले के लोगों को मुख्य सड़क तक जाने का चौड़ा रास्ता मिल जायेगा। एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी के अनुसार, कानुनी प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है, और तब तक तकरीबन डेढ़ दर्जन परिवार वाले इस टोले के लोगों को इंतजार करना होगा।

इतने महीनों से उसी निजी रैयती भूमि से रास्ता निकालने की जिद पर बैठे प्रजापति समाज के लोग भी, अब वास्तविकता को स्वीकारते हुये, प्रशासन से दूसरे रास्ते के अतिक्रमण को हटाने का अनुरोध कर रहे हैं, ताकि इनका समाज भी, खुद को विकास की मुख्य धारा से जोड़ सके। हम सरकार से अपील करते हैं कि यथाशीघ्र अतिक्रमण हटाकर इन लोगों के लिए एक सड़क का निर्माण करवाया जाये, ताकि एक अरसे से परेशानी झेल रहे इन लोगों की मुसीबत का हल निकले।

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