अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को झारखंड से पत्थलगड़ी आंदोलन की एक कार्यकर्ता को जमानत दे दी। इस कार्यकर्ता को गुजरात में राजद्रोह और ‘सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने’ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने बबीता कच्छप को आदिवासियों को गुजरात सरकार के खिलाफ कथित रूप से भड़काने के आरोप में पिछले साल गिरफ्तार किया था। न्यायमूर्ति एस एच वोरा ने उसे 20,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। आदेश में कहा गया है कि वह सत्र अदालत की अनुमति के बिना भारत से बाहर नहीं जायेंगी।
गुजरात एटीएस ने 24 जुलाई, 2020 को कच्छप को गिरफ्तार करते हुए दावा किया था कि उसके खिलाफ झारखंड में आदिवासियों के एक वर्ग द्वारा शुरू किए गए पत्थलगड़ी आंदोलन के सिलसिले में झारखंड में पहले से ही कई अपराध दर्ज हैं। एटीएस ने उन्हें भारतीय दंड संहित की धारा 121(ए) (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और 124(ए) (राजद्रोह) के तहत गिरफ्तार किया था।
कौन है बलोसा बबीता कच्छप?
झारखंड में पत्थरों पर संविधान की धाराएं लिखने से जुड़े ‘पत्थलगड़ी आंदोलन’ के बाद खूंटी, पश्चिम सिंहभूम, और कोल्हान जैसे इलाकों में हजारों आदिवासियों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ। बलोसा बबीता कच्छप भी उन्हीं में से एक आदिवासी नेता हैं।
भाजपा इस आंदोलन को चर्च के समर्थन से खड़ा हुआ आंदोलन बताती रही है लेकिन इसे बड़े पैमाने पर विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों का समर्थन प्राप्त था। बेलोसा बबीता कच्छप की यूट्यूब पर कई वीडियोज़ से पता चलता है कि वह सोशल मीडिया पर संविधान की धाराएं पढ़कर सुनाती थीं और वह संविधान में बताए गए कानून के बारे में व्याख्या करती थीं, जिनमें अधिकतर कानून मौलिक अधिकारों और आदिवासियों के अधिकार के बारे में होते थे।
बेलोसा आदिवासियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी जिक्र वो करती रहीं हैं। भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत संविधान पर छपी कई किताबों के बारे में भी वह सोशल मीडिया पर जानकारी देती थीं। बेलोसा के 2019 के यूट्यूब पर मौजूद वीडियो देखने पर पता चला कि वो आदिवासी भाषा और संस्कृति पर भी संविधान और कानून में दिए गए संवैधानिक अधिकारों का विश्लेषण करती थीं।
लेकिन सरकार को लगा कि वो आदिवासियों को भड़का रहीं हैं। इसलिए बबीता कच्छप को गिरफ्तार किया गया। बेलोसा बबीता को नक्सली बताया गया। साथ ही यह जानकारी इस तरह से सार्वजनिक की गई कि झारखंड के नक्सली गुजरात के आदिवासियों को गुजरात सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं। हालाँकि झारखंड की नई सरकार ने उनके और पत्थलगढ़ी आंदोलन के अन्य आरोपियों पर से मुकदमे हटाने की बात कही है।