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क्या आदिवासियों को राजस्थान में प्रदर्शन का अधिकार नहीं रहा?

डूंगरपुर। आज सुबह से सोशल मीडिया पर डूंगरपुर पुलिस अधीक्षक की एक चिट्ठी वायरल हो रही है, जिसमें विधायक राजकुमार रोत, उमेश डामोर, पोपट खोखरिया और भंवरलाल परमार के नेतृत्व में होने वाले भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) एवं अन्य संगठनो के प्रदर्शन तथा ज्ञापन देने के कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस की व्यवस्था करने, और पूरे कार्यक्रम की विडियोग्राफी करवाने का निर्देश है।

Dungarpur SP Order

इस आदेश के सामने आने के बाद क्षेत्र के आदिवासी समुदाय में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। आदिवासी समाज के लोग ट्विटर पर सवाल उठाते हुये राजस्थान सरकार से यह पूछ रहे हैं कि शांतिप्रिय आदिवासी समाज के कार्यक्रम में ऐसे इंतजाम की जरूरत क्या है? कुछ लोग इसकी तुलना आपातकाल से करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा बता रहे हैं।

ज्ञात हो कि आगामी 15 जुलाई को राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी-बहुल जिलों को मिलाकर भीलप्रदेश बनाने की माँग को लेकर, बीटीपी और आदिवासी-समर्थक संगठनो द्वारा सभी प्रखंड कार्यालयों पर धरना-प्रदर्शन तथा ज्ञापन देने का कार्यक्रम रखा गया है।

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