रायपुर। कोरोना संकट के बीच छत्तीसगढ़ में बीते ढाई साल में करीब डेढ़ लाख बच्चे कुपोषण मुक्त हो गए। जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कुपोषण मुक्ति की पहल पर छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती यानि दो अक्टूबर 2019 से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की गई थी, जिसका बेहतर परिणाम मिलने लगा है। छत्तीसगढ़ में जनवरी 2019 की स्थिति में चिन्हांकित चार लाख 33 हजार 541 कुपोषित बच्चों की संख्या थी। मई 2021 की स्थिति में करीब एक तिहाई 32 प्रतिशत मतलब एक लाख 40 हजार 556 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं।
राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-चार के अनुसार छत्तीसगढ़ में देश के 5 वर्ष से कम उम्र के 37.7 फीसद बच्चे कुपोषण से पीड़ित थे। इनके अलावा 15 से 49 वर्ष की आयु वाली 47 फीसद महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं। इन आंकड़ों को देखें तो कुपोषित बच्चों में से ज्यादातर आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के बच्चे थे। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस समस्या को चुनौती के रूप में लिया और कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ की कल्पना के साथ पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की गई। इस अभियान को सफल बनाने के लिए प्रदेशभर में जन-समुदाय का भी सहयोग लिया गया।
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर सहित वनांचल के कुछ ग्राम पंचायतों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सुपोषण अभियान की शुरुआत की गई। इसके अलावा दंतेवाड़ा जिले में पंचायतों के जरिए से गर्म भोजन और धमतरी जिले में “लइका जतन ठउर” जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से इसे आगे बढ़ाया गया। साथ ही जिला खनिज न्यास निधि का एक बेहतर उपयोग कर सुपोषण अभियान के तहत गरम भोजन देने की व्यवस्था की गई। योजना की सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने इसे पूरे प्रदेश में लागू किया। छत्तीसगढ़ को को आने वाले तीन वर्षों में कुपोषण से मुक्त करने के लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।