रांची। विभिन्न आदिवासी संगठनों द्वारा प्रेस वार्ता आयोजित की गयी। वार्ता में उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय के बीच आदिवासी जमीन की खरीद-बिक्री करने के लिए सीएनटी में थाना क्षेत्र की बाध्यता को समाप्त किया जाये। उन्होंने यह भी मांग की है कि इसकी अनिवार्यता प्रदेश में लागू हो।
गैर आदिवासी से विवाह के बाद नहीं मिले आदिवासियों का लाभ
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी महिला-पुरुष अगर गैर आदिवासी व्यक्ति से विवाह करता है तो उन्हें अनूसूचित जनजाति का कोई लाभ नहीं दिया जाए। इसके लिए ठोस कानून बनाया जाए। प्रेस वार्ता में उपस्थित लक्ष्मी नारायण मुंडा, कुलभूषण डूंगडूंग, निरंजना हेरेंज, अरविंद उरांव, चंदन पाहन, उमेश मुंडा, पवन तिर्की, शिवरतन मुंडा, बासुदेव भगत शामिल हुए।
संगठन ने कहा कि अनूसूचित जनजाति प्रमाण पत्र निर्गत करने में विवाहिता आदिवासी महिला के जाति प्रमाण पत्र के आवेदन में उस महिला के पति और पिता दोनो की ओर से जाति, खतियान, वंशावली दर्शाने को अनिवार्य किया जाए। इसके लिए राज्य सरकार ठोस कदम उठाए। अनूसूचित जनजाति के लिए सरकार द्वारा निर्गत की गई जाति प्रमाण पत्र को आजीवन किया जाए। अगर महिला विवाहिता हो तो उनका दोबारा जाति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य किया जाए। इस सभी मसलों को लेकर संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन के लोग प्रथम चरण में सभी आदिवासी विधायकों और टीएसी सदस्यों से मिलेंगे। दूसरे चरण में राज्य भर प्रदर्शन किया जाएगा।