नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा की जांच की निगरानी का ज़िम्मा महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी दत्तात्रेय पटसालगिकर को सौंपा है। पटसालगिकर सीबीआई के अलावा राज्य सरकार की तरफ से बनाई गई 42 SIT के कामकाज पर भी नज़र रखेंगे और सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करेंगे। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने जांच में मणिपुर से बाहर के पुलिस अधिकारियों को भी शामिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि हर SIT में दूसरे राज्य का एक अधिकारी होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में राहत और पुनर्वास का काम देखने के लिए 3 पूर्व हाई कोर्ट जजों की कमिटी भी बनाई है, जिसकी तीनों सदस्य महिला हैं। इस कमिटी की अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल करेंगी। यह कमिटी जल्द ही राज्य का दौरा करेगी। कोर्ट ने राज्य सरकार से उन्हें जरूरी सुरक्षा उपलब्ध करवाने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जांच के मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया है, लेकिन कानून के शासन में विश्वास सुनिश्चित करने के लिए यह निर्देश देने का प्रस्ताव है कि कम से कम डिप्टी एसपी रैंक के पांच अधिकारी होंगे जिन्हें विभिन्न राज्यों से सीबीआई में लाया जाएगा। ये अधिकारी सीबीआई के बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक ढांचे के चारों कोनों में भी काम करेंगे। 42 एसआईटी ऐसे मामलों को देखेंगी जो सीबीआई को हस्तांतरित नहीं किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आईपीएस अधिकारी सीबीआई जांच की निगरानी करें।
वहीं सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हम जमीनी स्थिति को समझने की कोशिश कर रहे हैं, हम सभी शांति की बहाली चाहते हैं, कोई भी छोटी चूक बहुत गहरा असर डाल सकती है। मणिपुर के पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह जातीय हिंसा और प्रशासन द्वारा इससे निपटने के लिए उठाए गए कदमों तथा प्रभावी जांच के उद्देश्य से मामलों को अलग करने संबंधी प्रश्नों के उत्तर देने के लिए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष पेश हुए।
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले अलग-अलग करने सहित विभिन्न मामलों पर शीर्ष अदालत द्वारा एक अगस्त को मांगी गई रिपोर्ट उसे सौंपी। कोर्ट में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।
अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से कहा, “सरकार बहुत परिपक्व तरीके से हालात से निपट रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने संवेदनशील मामलों की जांच के लिए जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षकों की अध्यक्षता में एसआईटी गठित करने का प्रस्ताव रखा है और इसके अलावा 11 मामलों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) करेगी। मामले की सुनवाई अभी जारी है।”
इससे पहले मणिपुर की स्थिति पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को कहा था कि वहां कानून-व्यवस्था एवं संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। केंद्र ने पीठ से आग्रह किया था कि भीड़ द्वारा महिलाओं के यौन उत्पीड़न के वीडियो से संबंधित दो प्राथमिकी के बजाय 6,523 प्राथमिकियों में से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा से संबंधित 11 मामलों को सीबीआई को सौंपा जाए और मुकद्दमे की सुनवाई मणिपुर के बाहर कराई जाए। पीठ हिंसा से संबंधित लगभग 10 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।