रांची। आदिवासियों की जमीन बचाने को लेकर विभिन्न आदिवासी संगठनों की बैठक मंगलवार को सिंदवार टोली मोरहाबादी में हुई। इसकी अध्यक्षता आदिवासी महासभा के संयोजक देवकुमार धान ने की। बैठक में निर्णय लिया गया कि आदिवासियों की जमीन बचाने को लेकर 31 जनवरी को बैठक होगी। जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।
बैठक में सीएनटी एक्ट का उल्लघंन कर आदिवासियों के धार्मिक स्थल पर अवैध रूप से कब्जा करने, एसएआर कोर्ट के द्वारा आदिवासियों की जमीन को गलत ढंग से कंपनसेशन करने, सफेद पट्टा से आदिवासियों की जमीन की अवैध ढंग से खरीद बिक्री किए जाने, भू-माफियाओं और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से गैर मजरुआ जमीन को लूटने व भुईंहरी जमीन को रैयती जमीन बनाकर अवैध ढंग से खरीद-बिक्री किए जाने पर चर्चा की गई।
इसके अलावा आदिवासी लोहरा जमीन को ओबीसी जमीन बताकर गैर आदिवासियों को बेचने, आदिवासियों के जतरा स्थल को बचाने, विस्थापन के खिलाफ झारखंड के सभी संगठनों को मिलाकर एक मंच में आने पर सहमति बनी। अंत में आदिवासी जमीन बचाओ अभियान का गठन किया गया।
मौके पर अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की प्रदेश अध्यक्ष गीताश्री उरांव, मांझी परगना महाल के रामचंद्र मुर्मू, राजी पड़हा के प्रभु दयाल उरांव, आदिवासी अधिकार मंच के सुभाष मुंडा, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के डॉ प्रवीण उरांव, केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की, आदिवासी जनपरिषद के प्रेमशाही मुंडा, झारखंड क्षेत्रीय पड़हा समिति हटिया के अजीत उरांव, आदिवासी लोहरा समाज के अभय भुटकुंवर, झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा के अंतु तिर्की सहित कई लोग मौजूद थे।