छिंदवाड़ा। आदिवासी बस्तियों में दो साल से सड़क, नाली और सामुदायिक भवन निर्माण के लिए बजट नहीं आया है। इससे इन इलाकों में विकास कार्य ठप पड़े हैं तो वहीं पिछले निर्माण का 86 लाख रुपए का भुगतान बकाया पड़ा है। इसके लिए पंचायतों के सरपंच-सचिव समेत अन्य पदाधिकारी भटक रहे हैं। इस पर कई बार राज्य शासन का ध्यान भी दिलाया गया। फिर भी कोई सकारात्मक पहल नहीं हो सकी है।
जनजातीय कार्य विभाग की मानें तो आदिवासी बस्ती विकास योजना में जुन्नारदेव, तामिया, बिछुआ, अमरवाड़ा और हर्रई समेत अन्य विकासखण्डों की आदिवासी ग्राम पंचायतों में 2 से 10 लाख रुपए की लागत से सड़क, नाली और सामुदायिक भवन का निर्माण किया जाता है। पिछली कमलनाथ सरकार के समय वर्ष 2018-19 में 2.25 करोड़ रुपए मंजूर किए गए। उसके बाद इसी सरकार ने वर्ष 2019-20 में दो करोड़ स्वीकृत किए। इस दौरान विभाग को 1.50 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। उसके बाद वर्ष 2020-21 और वर्तमान में 2021-22 में कोई बजट नहीं मिला। इसके साथ ही पिछले दो वर्ष में विभाग पर बकाया 86 लाख रुपए हो गया। यह राशि द्वितीय किश्त के रूप में पंचायत एजेंसियों को दी जानी है। वर्तमान सरकार से बजट न आने से सरपंच-सचिव इस राशि के लिए भटक रहे हैं। नए निर्माण कार्यो पर अघोषित रोक लगी हुई है।
दो साल से बता रहे, पर नहीं मिल रहा बजट
जनजातीय कार्य विभाग के अधिकारी वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए भोपाल स्थित वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार आदिवासी बस्ती विकास के बकाया राशि और रुके विकास कार्य के बारे में बता चुके हैं लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। बजट न मिलने से आदिवासी इलाकों में सड़क, नाली की समस्या हल नहीं हो पा रही है।
राजनीतिक रस्साकशी से उपेक्षा का शिकार
आदिवासी बस्तियों समेत अन्य प्रोजेक्ट में विकास बजट उपलब्ध न कराए जाने को राजनीतिक दृष्टि से उपेक्षा और रस्साकशी का नतीजा माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि पिछली कांग्रेस सरकार के मुखिया कमलनाथ के छिंदवाड़ा से होने के चलते सत्तारूढ़ सरकार उपेक्षा का रवैया अपना रही है। एक कारण कोरोना संक्रमण काल में पूरा ध्यान स्वास्थ्य पर केन्द्रित होना भी माना जा रहा है। फिलहाल पंचायतों से जुड़े जनप्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर पुन: सरकार का ध्यान आकर्षित किया है।
आदिवासी बस्ती विकास योजना में दो साल से बजट का इंतजार बना हुआ है। पिछले निर्माण कार्यों की बकाया राशि भी नहीं मिली है। इस पर वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान भी आकर्षित कराया गया है।
एनएस बरकड़े, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास।
स्कूल-छात्रावास बंद होने से भी नहीं आया शैक्षणिक बजट
जनजातीय कार्य विभाग के अधीन स्कूल-छात्रावास दो साल से बंद होने से राज्य शासन द्वारा इसका बजट भी नहीं दिया गया है। इस वर्ष भी अभी तक छात्रावास खोलने के अधिकारिक आदेश नहीं आए हैं। जबकि हाईस्कूल और हायर सेकण्डरी स्कूल खोलने के बारे में जानकारी आई है। इस स्थिति में छात्रावास खोले जाएंगे या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है।