सरायकेला। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने पर झारखंड के सरायकेला- खरसावां के राजनगर की निवासी चामी मुर्मू को केंद्र सरकार ने पद्मश्री अवार्ड देने की घोषणा की है। पिछले तीन दशकों से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्यरत इस आदिवासी महिला ने ना सिर्फ लाखों पेड़ लगाए बल्कि स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आसपास के दर्जनों गाँवों की महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने में भी वे सफल रहीं।
सन 1988 के समय वन माफिया के द्वारा पेड़-पौधों के अंधाधुंध कटाई और तस्करी से ग्रामीणों के समक्ष जलाने की लकड़ी तक की समस्या उत्पन्न हो गई थी। उस दौर में जब लोगों के लिए दो वक्त का खाना जुगाड़ कर पाना भी काफी मुश्किल होता था, उस समय चामी मुर्मू ने 10 महिलाओं के साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करना शुरू किया।
इसके बाद उनकी टीम समाज में जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा करने वाली सोशल एक्टिविस्ट के रूप में उभरी। ग्रामीण क्षेत्रों में जलावन लकड़ी की कमी को देखते हुए सर्वप्रथम उन्होंने अकासिया पौधा लगाना शुरू किया, जिससे ग्रामीणों को प्रचुर मात्रा में जलाने की लकड़ी मिलने लगी। इसके बाद उनकी टीम ने नीम, साल, शीशम के पौधे भी लगाए जो फर्नीचर और घरेलू सामान बनाने में काफी उपयोगी साबित होते हैं। इन पौधों को लगाने का एकमात्र मकसद वनों की रक्षा करना था।
6 नवंबर 1971 को सरायकेला खरसावां के भुरसा गांव में जन्मीं चामी मुर्मू ने महज 10वीं तक शिक्षा ग्रहण की है। उन्होंने बताया कि एक दिन अपने घर के सामने एक पौधे को देखा, जो देखरेख की कमी के कारण मुरझा रहा था, बस तभी से पर्यावरण की दिशा में काम करने की सोची। वे बताती हैं कि अब तो सरायकेला और अन्य क्षेत्रों में वे बंजर भूमि हो या मैदानी स्थल, हर कहीं पौधा लगा दिया करती हैं। शायद इसी जुनून की वजह से, उन्होंने विवाह भी नहीं किया और अपने मिशन में लगी रहीं।
आसपास के क्षेत्र में कहीं भी पेड़ों को काटने की सूचना मिलने पर वह महिलाओं की टीम के साथ स्थल पर पहुंचकर पेड़ों को काटने से बचाने लगती हैं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण से संबंधित सैकड़ों स्वयं सहायता समूह बनाया है, प्रत्येक समूह में 10 से 15 महिला सदस्य शामिल हैं।
उनके स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को बैंक से ऋण एवं विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। जिसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं बकरी पालन, मुर्गी पालन, आधुनिक खेती समेत जीविकोपार्जन से जुड़े अन्य कार्यों से महिलाएं सशक्त बन रही हैं। इसके अलावा उनकी संस्था गरीब आदिवासियों लड़कियों को मुफ्त में हॉस्टल की सुविधा के साथ शिक्षा भी दिला रही है।
नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित कर चुके हैं राष्ट्रपति
चामी मुर्मू को वर्ष 2019 में भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय नई दिल्ली के द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार उन्हें 8 मार्च 2020 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रदान किया था। इसके अलावे वर्ष 2000 में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने उन्हें इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र पुरस्कार 1996 से भी सम्मानित किया।