सरायकेला। आज से ठीक पाँच दिन पहले, आदिवासी डॉट कॉम ने चांडिल एवं आसपास के क्षेत्र में चल रहे फर्जी लॉटरी के कारोबार पर एक बड़ा खुलासा किया था।
उस खुलासे में, Live7 का एक वीडियो भी संलग्न था, जिसमें इस फर्जी लॉटरी के कुछ संचालकों का नाम (सीमांत डे, भागा कुंडू, कन्हाई ठाकुर, राजू कुम्हार, टिकेन, महेश कुंडू एवं बिट्टू साव आदि) स्पष्ट तौर पर सामने आया था। उसमें सबूत के तौर पर एक ऑडियो क्लिप भी थी, जिसमें एक लॉटरी माफिया ने फर्जी लॉटरी के पूरे कारोबार पर विस्तार से चर्चा की थी। उस ऑडियो क्लिप में ही, कई संचालकों का नाम सामने आया था और पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया गया था।
लेकिन हफ्ते भर बाद भी, सरायकेला पुलिस ने उस में नामित किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही तो दूर, उनसे पूछताछ करने का भी प्रयास नहीं किया। रिपोर्ट आने के बाद 2-4 दिन तक सभी लोग फरार थे, फिर ना जाने ऐसा क्या हुआ कि सभी वापस आ गए, पुराने फोन नंबर को बंद कर दिया और निश्चिन्त हो गए। ऐसा लगता है मानो कुछ हुआ ही ना हो।
ऐसा कहीं होता है क्या? क्या वर्षों तक लूट का यह धंधा चलाने के बाद, आप उसे बंद कर के, बिना किसी कानूनी कार्यवाही के “बच कर निकल” सकते हैं? इस तरह के फर्जीवाड़े पर कार्यवाही कब होगी?
तो क्या यह मान लिया जाए कि सरायकेला पुलिस इनके खिलाफ कार्यवाही करने में कोई रुचि नहीं रखती? आखिर ऐसा क्यों है कि फर्जी लॉटरी के नाम पर हजारों लोगों से करोड़ों रुपये ठग कर बैठे इन लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने में पुलिस हिचक रही है? चूंकि इनमें से कई नाम एक राजनैतिक दल (भाजपा) से जुड़े हुए हैं तो क्या वे इस देश के नियम-कानून से ऊपर हैं? क्या उन्हें लूट की छूट मिली हुई है?
खामोशी तोड़िये डीजीपी साहेब, जनता जबाब चाहती है।
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