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वरमाला के बाद पोस्टर लेकर खड़े हो गए दूल्हा-दुल्हन, लिखा था ‘हसदेव बचावा’

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में हसदेव के जंगलों की कटाई का विरोध अब सामाजिक रूप से भी दिखने लगा है। पिछले दिनों बिलासपुर में हुए एक विवाह समारोह में भी हसदेव की चिंता सार्वजनिक हो गई। विवाह की रस्मों के बीच दूल्हा-दुल्हन ने ‘सेव हसदेव’ और ‘हसदेव बचावा’ जैसे संदेश लिखे पोस्टर दिखाए।

बिलासपुर के तखतपुर में भिलौनी निवासी उमेश कौशिक की शादी 11 मई को थी। बिलासपुर के पास हरदी कला की भगवती कौशिक से उनकी शादी थी। जयमाल की रस्म के बाद जब घराती-बराती दोनों पक्षों के लोग एक साथ बैठे थे तभी उमेश और भगवती ने एक-एक पोस्टर उठा लिया। उनके साथ चार-पांच साथी भी ऐसी ही तख्ती लेकर मंच पर आ गए। उस पर हसदेव जंगल को उजड़ने से बचाने का संदेश लिखा था। एकबारगी तो लोगों को बात समझ में नहीं आई। जैसे ही उनकी नजर संदेश पर पड़ी सभी तालियां बजाने लगे।

दैनिक भास्कर से उमेश कौशिक ने बताया, वे छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के तखतपुर ब्लॉक उपाध्यक्ष हैं। उनका संगठन हसदेव जंगल को छत्तीसगढ़ की धरोहर मानता है। अगर कोयले के लिए वह जंगल उजाड़ दिया गया तो इतिहास, परंपरा, संस्कृति और यहां के पर्यावरण का भारी नुकसान होगा। इसके लिए संगठन आंदोलन चला रहा है। उनकी शादी से एक दिन पहले संगठन ने बिलासपुर कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा। शादी की वजह से वे नहीं जा पाए। उन्हें लगा कि शादी के मंच से भी यह संदेश लोगों तक पहुंचाया जा सकता है।

पत्नी को बताया तो वह भी तैयार थीं
उमेश कौशिक ने बताया, यह बात उन्होंने संगठन के कुछ साथियों के साथ मिलकर तय की थी। यह बात पत्नी भगवती को बताई तो वह भी तैयार हो गई। उसके बाद सभी मेहमानों के बीच उन लोगों ने यह संदेश दिखाया।

खनन के विरोध में धरना अब भी जारी
इधर परसा कोल ब्लॉक प्रभावित गांवों में धरना अब भी जारी है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सरकार इस परियोजना को वापस नहीं लेती वे लोग नहीं जाएंगे। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति का आरोप है कि उनके गांव और जंगल को फर्जी ग्राम सभा के आधार पर कोयला खनन के लिए आवंटित किया गया है। उन लोगों ने इसके लिए कोई सहमति नहीं दी है। वे लोग अपने जंगल को कटने नहीं देंगे। अपने गांवों को उजाड़ना उन्हें मंजूर नहीं। हसदेव क्षेत्र के ये आदिवासी पिछले साल अक्टूबर में 300 किलोमीटर पैदल चलकर रायपुर आए थे। यहां उन्होंने मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मुलाकात कर गुहार लगाई।

क्या है हसदेव अरण्य में विवाद
हसदेव अरण्य छत्तीसगढ़ के उत्तरी कोरबा, दक्षिणी सरगुजा और सूरजपुर जिले के बीच में स्थित एक समृद्ध जंगल है। करीब एक लाख 70 हजार हेक्टेयर में फैला यह जंगल अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है। वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की साल 2021 की रिपोर्ट बताती है कि इस क्षेत्र में 10 हजार आदिवासी हैं। हाथी, तेंदुआ, भालू, लकड़बग्घा जैसे जीव, 82 तरह के पक्षी, दुर्लभ प्रजाति की तितलियां और 167 प्रकार की वनस्पतियां पाई गई हैं।

इसी इलाके में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को कोयला खदान आवंटित है। इसके लिए 841 हेक्टेयर जंगल को काटा जाना है। वहीं दो गांवों को विस्थापित भी किया जाना है। स्थानीय ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं। 26 अप्रैल की रात प्रशासन ने चुपके से सैकड़ों पेड़ कटवा दिए। उसके बाद आंदोलन पूरे प्रदेश में फैल गया। (साभार: भास्कर)

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