बस्तर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासी ग्रामीण सेहत से भरपूर, चुस्त दुरुस्त और तंदुरुस्त होते हैं। इसकी वजह बस्तर के ग्रामीण को प्रकृति द्वारा दिए गए वन सपंदा को माना जाता हैं। चापड़ा चटनी से लेकर बस्तर की बियर कहे जाने वाली सल्फी और बोबो भजिया के अलावा बस्तर में पिए जाने वाली पेय पदार्थों में से एक है मंडिया पेज।
क्या है खास
मंडिया पेज को बहुत हेल्दी ड्रिंक माना जाता है। खास तौर पर गर्मी का मौसम आते ही मंडिया पेज की डिमांड शहरी और ग्रामीण इलाकों में रहती है। बस्तर की वनोपज रागी से बनने वाले इस पेय का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। लेकिन शहरों में अब धीरे-धीरे इस देसी पेय की जगह सॉफ्ट ड्रिंक ने ले ली है। बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी करने वाले महिला और पुरुषों के लिए मंडिया पेज किसी लस्सी और कोल्डड्रिंक से कम नहीं होती। शरीर में ठंडक पहुंचाने के साथ ही यह कैल्शियम और डायबिटीज मरीजों के लिए रामबाण है। सेहत के लिए काफी फायदेमंद होने की वजह से गर्मी के मौसम में बस्तर में अधिकतर बस्तरवासी मंडिया पेज ही पीते हैं।
कौन सी है विटामिन
बस्तर के जानकार हेमंत कश्यप बताते है कि औषधीय गुणों से भरपूर मंडिया पेज शरीर को ताकत देने के साथ ही डायबिटीज मरीजों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम और विटामिन C होने की वजह से यह शरीर को काफी फायदा पहुंचाता है। आदिवासी अंचलों की महिला, पुरुषों के साथ ही छोटे बच्चों और बुजुर्गों के द्वारा भी मंडिया पेज का सेवन करना आम बात है। बस्तर के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर के. के. मिश्रा के मुताबिक मंडिया पेज ग्रामीणों की सेहत का सबसे बड़ा राज है। शहरी लोगों की तुलना में ग्रामीण अंचलों में रहने वाले लोग हष्ट पुष्ट और स्वस्थ होते हैं। उनकी जीविका भी काफी लंबी होती है। इसके पीछे बस्तर के वनोपज हैं। विभिन्न तरह के भाजी खाने के साथ ही बस्तरवासी मंडिया पेज का नियमित रूप से सेवन करते हैं।
डायबटीज मरीजों के लिए है रामबाण
मंडिया पेज बस्तर के आदिवासियों के लिए प्रमुख पेय है। आदिवासी अंचलों में सभी घरों में मंडिया पेज बनाना सामान्य बात है। रागी से बने इस मंडिया पेज में काफी सारी खूबियां हैं। यह शक्ति वर्धक पेय का विकल्प है। शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के साथ-साथ पाचन क्रिया को भी ठीक करता है। साथ ही यह ऊर्जा का मुख्य स्रोत भी है। इसमें मुख्य रूप से अमीनो अम्ल, कैल्शियम, लौह तत्व, ग्लूकोज, प्रोटीन औरफाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
बस्तर के ग्रामीण अंचलों में आदिवासी रागी को पीसकर बनाते हैं। 12 महीनों इसे अपने पास रखते हैं। हालांकि यह बरसात और ठंड में शरीर में काफी ठंड पैदा करता है। तेज धूप और गर्मियों में मंडिया पेज का कोई तोड़ नहीं है। हालांकि डॉक्टरों का भी कहना है कि पिछले कुछ सालों से शहर वासियों के साथ-साथ ग्रामीण भी अब आधुनिक काल में मिलने वाले विभिन्न तरह के खाद्य पदार्थो और कोल्ड ड्रिंक को प्रमुखता देने लगे हैं।
प्रमोट करने की जरूरत
आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने कहा कि शासन-प्रशासन को भी इस रागी मंडिया पेज को प्रमोट करना चाहिए। ताकि यह पेय पदार्थ ग्रामीण अंचलों के साथ-साथ शहर वासियों के भी जीवन शैली में शामिल हो जाए। इसके फायदे भी शासन-प्रशासन को बताकर इसे प्रमोट करने की जरूरत है। जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग मंडिया पेज का सेवन कर अपने शरीर को स्वस्थ रख सकें।
इधर बस्तर के जानकारों का भी कहना है कि मंडिया पेज में इतनी सारी खूबियां हैं, बावजूद इसके अब धीरे-धीरे बस्तर के ग्रामीण अंचलों में यह विलुप्त होने के कगार पर पहुंच रही है। हालांकि अभी भी अंदरूनी क्षेत्रों में मंडिया पेज ग्रामीणों के सबसे मुख्य भोजन में शामिल है क्योंकि बस्तर के ग्रामीण अपने खेतों में और शहरों में आकर मजदूरी करते हैं। ऐसे में वह अपने साथ मंडिया पेज रखते हैं और उसका सेवन करते हैं। (एबीपी न्यूज)